खड़गपुर : बांग्ला नववर्ष पर महिलाओं ने दिया रीति – रिवाज पर जोर

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। हमारे कई प्राचीन रीति – रिवाज और परंपराएं तकरीबन विलुप्त होने के कगार पर हैं। चैत्र मास के संन्यास, चरक मेला और गाजन के वाद्य तो अब भी हैं, लेकिन उनमें अब वो रौनक कहां , जो कुछ दशक पहले तक थी . उनकी जगह सेल बाजार पर मिलने वाली कथित भारी छूट ने ले ली है। इसके बाद शुरू होता है पोइला बैशाख का पालन। नए कपड़े व धान की खरीद-बिक्री, घर – घर में आनंद – उल्लास। इसी तर्ज पर खड़गपुर की महिलाओं की सामाजिक संस्था ” गीता अम्मा स्मृति सदन ” और ” आत्मजा ” की सदस्याओं ने पारंपरिक रीति – रिवाजों को प्राथमिकता देते हुए बांग्ला नववर्ष पोइला वैशाख का स्वागत किया।

स्थानीय नगरपालिका वार्ड 9 स्थित भारती सेवा संघ के दुर्गामंदिर प्रांगण में आयोजित नववर्ष स्वागत समारोह वस्तुत: मिलन समारोह में रुपांतरित हो गया। इस अवसर पर गीता अम्मा स्मृति सदन की शाखा आत्मजा की ओर से 25 बच्चों के बीच नए वस्त्र वितरित किए गए। आत्मजा की संयोजक जया दास सिंह, वरिष्ठ नेता देवाशीष चौधरी तथा डॉ. कृष्णेंदु पाल ने बच्चों को वस्त्र प्रदान किए। अतिथियों के दीप प्रज्जवलन , उलूक ध्वनि और पारंपरिक वाद्य धामसा – मादल की ताल पर विधिवत रूप से समारोह शुरू हुआ।

तदुपरांत आत्मजा की महिलाओं ने विभूतियों का स्वागत उत्तरीय प्रदान कर और तिलक – चंदन से किया। वैशाखी गान और बालाओं के मनमोहक नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गीता अम्मा स्मृति सदन और पुण्यात्मा दीपक नारायण भवानी शंकर तर्पणाश्रम की ओर से कृष्णेंदु पाल और देवाशीष चौधरी समेत कई हस्तियों को सम्मानित किया गया। समारोह का विशेष आकर्षण आदिवासी बैगा समाज का झुमूर नाच रहा। मिलन समारोह में धामसा मादल की मधुर ताल देर तक दर्शकों को झूमाती रही।

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