भोजपुरी होली – बितल जाड़ा रजऊ

।।भोजपुरी होली – बितल जाड़ा रज ऊ।।
श्याम कुंवर भारती

आइल होली बितल अब जाड़ा रजऊ।
तू त बहरा भुलाइल बाडा रजऊ।

सेजिया प लागे हमके जाड़ा रजऊ।
तू बहरा भुलाइल बाड़ा रजऊ।

बितल माघ देखा फागुन चढ़ी आइल।
पियर सरसो ओरी सोना गेहूं बढ़ी आइल।
अकेले होत नईखे हमरो गुजारा रजऊ।
तू त बहरा भुलाइल वाड़ा रजऊ।

करी केकरा प सिंगार सब कइल बा बेकार।
अमवा कोयल करे पुकार कोचवा महुआ मारे फुहार।
पवनवा छोड़े फगुआ के फुहारा रजऊ।
तू त बहरा भुलाइल बाड़ा रजऊ।

गोडवा पायल छम छम छमके।
मथवा बिंदिया चम चम चमके। बनाला हमके गरवा के हारा रजऊ।
तू त बहरा भुलाइल बाड़ा रजऊ।

श्याम कुंवर भारती, कवि

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