कोलकाता। कोलकाता के महापौर फिरहाद हाकिम ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया है कि पार्षदों को उनके क्षेत्र में अवैध निर्माण की जानकारी नहीं है जबकि केएमसी (कोलकाता नगर निगम) के इमारत विभाग और पुलिस को इससे संबंधित जानकारी होती है। उन्होंने एक वेब कार्यक्रम में शनिवार को कहा कि पार्षद भ्रष्टाचार में संलिप्त नहीं हैं और केएमसी के इमारत विभाग और पुलिस विभाग के केवल कुछ लोग रुपये लेकर अवैध निर्माण को मंजूरी देने के काम में लिप्त हो सकते हैं। भाजपा ने आरोप लगाया कि हाकिम अपने निगम पर भ्रष्टाचार का आरोप मढ़कर अपने पाषर्दों को बचाना चाहते हैं।
वहीं, माकपा ने कहा कि हाकिम अपने ही इमारत विभाग और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले विभाग पर आशंका जाहिर कर रहे हैं। अवैध निर्माण पर ‘‘महापौर से बातचीत’’ कार्यक्रम में केएमसी की वार्ड संख्या 69 से टेलीफोन के जरिये की गई शिकायत पर हाकिम ने कहा कि संभवत: पार्षदों को यह नहीं पता कि उनके वार्ड में कौन सा निर्माण वैध है और कौन सा नहीं, इसकी जानकारी इमारत विभाग और पुलिस के पास होती है।
राज्य सरकार के परिवहन मंत्री और बनर्जी के करीबी माने जाने वाले हाकिम ने कहा,‘‘इमारत विभाग को सबसे पहले पता होता है कि क्या इमारत वैध या नहीं और वह पुलिस को इसकी सूचना दे सकता है। पार्षद को नहीं पता कि इमारत का कौना हिस्सा वैध है और कौन सा नहीं। इसलिए पार्षद पर घूस लेने का मामला लागू नहीं होता।’’ अपने तर्क को साबित करने के लिए हाकिम ने कहा कि उन्हें अपने वार्ड संख्या 82 के बारे में नहीं पता कि क्या वहां अवैध निर्माण हो रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि हाकिम अपने पार्षदों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाना चाहते हैं जबकि वह अपने ही निगम के अन्य लोगों पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई शहर के विभिन्न वार्ड में उगाही और ‘कटमनी’ की संस्कृति के बारे में जानता है। कैसे वह इसे नजरअंदाज कर सकते हैं। ’माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि इस तरह का बयान देकर हाकिम अपने ही विभाग और उस विभाग के प्रति आशंका पैदा कर रहे हैं जिसका नेतृत्व स्वयं मुख्यमंत्री कर रही हैं।