उज्जैन । राम भक्त शबरी माता से संस्कार की प्रेरणा मिलती है। ये विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. अनसूया अग्रवाल, महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने व्यक्त किए। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में “राम भक्त शबरी माता जयंती” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आवासीय संगोष्ठी में भी अध्यक्षीय उद्बोधन दे रही थी। प्रोफेसर अनुसूया अग्रवाल ने आगे कहा कि राम भक्त शबरी माता भील जाति की कन्या थी। उसका नाम श्रवणा था। उसकी खूबी थी कि वह पशु पक्षी से बातें करती थी। श्रवणा बड़ी होते होते उनकी बातों में विलक्षणा थी। वह सभी पक्षियों को आजाद कर दिया। उसके व्यक्तित्व में प्रकृति के अद्भुत प्रेम मिलता है।
मुख्य अतिथि सुवर्णा जाधव, मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष मुंबई ने कहा कि श्रद्धा मानव जीवन का गुण है। श्रद्धा से माता शबरी भगवान राम के इंतजार आंखें बिछाए बैठी थी। सबरी रामायण का गौण पात्र है। सबरी आस्था के मिसाल है। विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने कहा कि राम जी जब शबरी के आश्रम गए तब 10 वर्ष लगभग था, माता शबरी फूल से रंगोली बनाती थी और मीठी बेर भगवान राम के लिए रखी थी ऐसी प्रेम भाव रखने वाली माता शबरी को नमन।
मुख्य वक्ता हरेराम बाजपेयी, इंदौर ने कहा कि माता शबरी आदिवासी कन्या थी। प्रेम वस माता शबरी जब चख-चख कर भगवान राम को बेर देती थी ताकि बेर खट्टे ना हो। माता शबरी एक आदर्श माता थी। विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि शबरी माता भगवान राम को मीठे बेर खिलाना चाहती थी इसलिए उन्होंने झूठे बेर खिलाए। शबरी ने 9 गुण शांत जीवन का ज्ञापन किया।
गोष्ठी का आरंभ डॉ. संगीता पाल की सरस्वती वंदना से हुआ। राष्ट्रीय सचिव कुसुम सिंह लता, दिल्ली ने स्वागत उद्बोधन दिया। गोष्ठी की प्रस्तावना अध्यापिका रोहणी डावरे, अकोला, महाराष्ट्र ने दिया। गोष्ठी का सफल एवं सुंदर संचालन डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, छत्तीसगढ़ ने किया तथा सभी का धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ साहित्यकार कवियित्री, डॉ. रेनू सिरोया ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।