बिहारी भाइयों, इस रात की सुबह कब होगी?

राजकुमार गुप्त, स्वतंत्र लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता

मेरे सभी बिहारी भाइयों इस कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से आप सभी को शिक्षा लेने की जरूरत है आगामी 2020 के विधानसभा चुनाव में आप सभी को अपने-अपने क्षेत्र के वर्तमान विधायक और चुनाव में खड़े उम्मीदवारों पर इस बात के लिए जोर डालना होगा की बिहारियों को मजदूर के रूप में अन्य राज्यों में जाना ना पड़े इसके लिए आपकी पार्टी के पास क्या योजनाएं हैं बताये?
क्यों मेक इन इंडिया के अंतर्गत कल कारखाना बिहार में आप लोगों ने अब तक नही लगाया?
सैकड़ों बरसों से बिहार के लोग पलायन के लिए क्यों मजबूर होते रहे और आगे भी कितने वर्षों तक इसी तरह पलायन करते रहना होगा कब तक बिहार के युवा देश के अन्य राज्यों को उन्नत और समृद्ध करते रहेंगे और वहां के निवासियों द्वारा लात, जूते और गाली-गलौज खाते रहेंगे।
मुझे याद है 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार मोदी जी ने प्रत्येक चुनावी सभाओं में कहा था कि देश की पानी और जवानी बर्बाद नहीं होनी चाहिए परंतु इसके विपरीत बिहार की पानी और जवानी सदा से ही बर्बाद होती रही है तो इसके लिए आप लोगों के पास या आपके दलों के पास क्या मास्टर प्लान है।
क्यों ना बिहार की पानी और जवानी दोनों ही बिहार की उन्नति में लगाया जाए।
भाइयों इस के लिए आप को अभी से ही एक मिशन के तौर पर जुट जाना होगा, बिना किसी दलों या नेताओं का मुहँ देखे सभी नेताओं से बेबाकी से पूछना होगा अन्यथा आने वाले समय में भी इसी तरह शरणार्थी की तरह पूरे देश में घूमते बीतेगी और आपकी आने वाली पीढ़ियों का भी भविष्य आपके ही तरह अंधकारमय होगा। मजे में सिर्फ सभी दलों के नेता रहेंगे जो आपके ही वोटों से जीत कर अरब, खरबपति बनेंगे और आप बिहारी वोटर हमेशा की तरह दर-दर भटकने पर मजबूर होंगे और कुछ हम जैसे भी लोग होंगे जो स्थाई रूप से बिहार से विस्थापित होकर भारत के किसी अन्य राज्यों के निवासी बनने पर मजबूर होते रहे हैं और आगे भी होंगे और विस्थापितों की कितनी इज्जत होती है हम जैसे विस्थापित अच्छी तरह से जानते हैं मगर मजबूरी बस चुप रहते हैं या फिर कुछ लोग झूठ बोल रहे होते हैं।
अपनी मातृभूमि को छोड़कर कोई भी कितना कुछ भी कह ले खुश नहीं रह सकता है।
भाइयों पतन के बाद ही उत्थान का दौर शुरू होता है और जहां तक मैं समझ रहा हूं इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे बिहारियों की दुर्गति देखने के बाद भी यदि बिहारी नहीं सुधरे या चेते तो फिर हम मुर्दा कौम की गिनती में ही आएंगे।
अब निर्णय आप सभी बिहारियों को ही करना है कि आप जिंदा कौम हैं या मुर्दा।
अतः इस बार के विधानसभा चुनावों में किसी भी दलों या नेताओं की मुफ्त की किसी भी योजना के झांसे में ना आए बल्कि “समृद्ध बिहार तो समृद्ध बिहारी” सोच को सामने रखकर अपने मताधिकार का प्रयोग करें और चुनी हुई सरकार पर हमेशा दबाव बनाए रखें बिहार के नव निर्माण की और इसके लिए बिहार के नागरिकों को भी अपने आचरण में आमूलचूल बदलाव करना होगा। आप सभी को जातिवाद के दलदल से भी बाहर निकलना होगा और कुछ अधिक मजदूरी के लालच में अन्य राज्यों में पलायन ना करें तभी बिहार और आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुधार सकते हैं।
भाइयों आँखे बंद कर लेने से रात नहीं होती बल्कि अंधेरा होता है।

नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व  व्यक्तिगत विचार हैं । इस आलेख में  दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।

1 thoughts on “बिहारी भाइयों, इस रात की सुबह कब होगी?

  1. अभिजीत प्रसाद says:

    अब समय आ गया है कि हम लोगो को जातिवाद, छेत्रवाद, लालच के दलदल से बाहर निकलना होगा और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना होगा। जय हिंद।

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