युवा दलित साहित्यकार मंच पं.ब. द्वारा गणतंत्र दिवस की संध्या पर काव्य संगोष्ठी का आयोजन

युवा चर्चित कवि बच्चा लाल ‘उन्मेष’ ने किया कविता पाठ

कोलकाता। 73वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में युवा दलित साहित्यकार मंच पश्चिम बंगाल द्वारा काव्य संध्या का आयोजन वेब माध्यम से किया गया। जिसका सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल प्रज्ञादीप और युवा दलित साहित्यकार के ग्रुप समूह के पेज पर किया गया। इस कार्यक्रम में युवा चर्चित कवि बच्चा लाल उन्मेष, डॉ. सुरेश लोहार, डॉ. शशि शर्मा, कार्तिक चौधरी और अर्चना विश्वकर्मा रही। बच्चा लाल ‘उन्मेष’ ने वर्तमान समय की राजनीति पर जातिभेद को लेकर उभरे विभाजन पर करारा व्यंग करने वाली कविता “कौन जात हो भाई”, कोरोना कालीन पृष्ठभूमि पर आधारित कविता ‘एक आजादी जेहन की हिंसा’, ‘जिन्दा की तलाश है’, ‘मेरी माँ’ और ‘कर्मपथ’ का पाठ किया।

विश्व भारती शांतिनिकेतन के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुकेश लोहार ने डुआर्स के मज़दूरों के यथार्थ जीवन को ‘चाय’ और ‘भूख’ कविताओं के माध्यम से प्रकाश में लाने का प्रयास किया। बर्दवान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. शशि शर्मा ने स्थिती की समानता और अधिकार को केंद्र में रखते हुए स्त्री कविता का पाठ किया साथ ही गणतंत्र दिवस के महत्व को बताते हुए, जब तक संविधान है कविता का प्रस्तुतीकरण किया।

महाराजा श्रीशचंद्र कॉलेज सहायक प्रोफेसर डॉ. कार्तिक चौधरी ने गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में बाबासाहब को समर्पित करते हुए ‘आप न होते’ कविता का पाठ किया। डूआर्स की संघर्षशील भूमि से उभरी युवा कवियत्री अर्चना विश्वकर्मा बेटी होने की व्यथा को ‘बेटी’ कविता के माध्यम से, डुआर्स के यथार्थ को ‘डुआर्स ‘कविता की प्रस्तुति की। इसके साथ ही उन्होंने छटपटाहट, तिलकधारी, दलित और साबित कर दो न कविता का सफल पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अजय चौधरी ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर मकेश्वर रजक ने किया।

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