पटना। शराबबंदी कानून को लेकर चारो ओर से घिरी सरकार अब कानून में फिर से बदलाव करने की कवायद में जुट गई है। माना जा रहा है कि कानून में बदलाव का मकसद अदालतों में बोझ कम करना है। मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि विभाग अब कानून में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। इसके तहत माना जा रहा है कि कानून में कुछ ढील दी जाय। बिहार के उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय ने भी बताया कि शराबबंदी कानून में संशोधन लंबे समय से विचाराधीन थे। पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर जुर्माना लेकर छोड़ने वाली बात का संशोधन अधिनियम में 2018 में ही हो गया था, जिसमे अधिकार न्यायपालिका को दिया गया था।
लेकिन अब जो बदलाव होने का प्रस्ताव हैं उसमे यह अधिकार कार्यपालक दंडाधिकारी को दे दिये जाने का प्रस्ताव है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी जुर्माने की राशि तय नहीं की गई है। वैसे, पिछले कुछ दिनों में राज्य में जहरीली शराब से होने वाली मौत की घटना के बाद सरकार इस कानून को लेकर बैकफुट पर थी। उल्लेखनीय है कि करीब पांच साल पहले लागू इस कानून के कार्यान्वयन को लेकर बराबर सवाल उठाए जाते रहे हैं।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि फरवरी में विधानसभा के अगले सत्र में संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है। एक अधिकारी कहते हैं कि सरकार बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 में कुछ बदलाव लाकर इसके नियमों में ढील देने के लिए वित्तीय दंड का प्रावधान शुरू करने पर विचार कर रही है। इधर, बताया जा रहा है कि संशोधन के प्रस्ताव में शराब के धंधे से अवैध तरीके से बनाई गई संपत्ति को जब्त करने का अधिकार को सरकार को देने का प्रस्ताव किया जा सकता है। इसके अलावा कानून के संशोधन प्रस्ताव में सरकार उन वाहनों को भी जुमार्ना लेकर छोड़ने का प्रस्ताव कर सकती है, जिस वाहन से शराब जब्त किए जायेंगे।