सुंदरवन में लुप्त हो रही कछुओं की प्रजातियां

कुमार संकल्प, कोलकाता। पश्चिम बंगाल वन विभाग ने सुंदरवन में जीपीएस से टैग करके लुप्तप्राय मीठे पानी की कछुए की प्रजाति बटागुर बस्का का एक और बैच जारी किया। पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने पिछले दिनों दक्षिण 24 परगना के सजनेखली इलाके में तालाब में पाले जाने के बाद दस बटागुर बास्क – सात मादा और तीन नर – को जीपीएस डिवाइस से लैस करवाया व सुंदरवन मैंग्रोव जंगल में नदी में छोड़ा। बटागुर बस्का, जिसे उत्तरी नदी के भूभाग के रूप में भी जाना जाता है, को व्यापक रूप से दुनिया में सबसे लुप्तप्राय मीठे पानी के कछुओं में से एक कहा जाता है।

दक्षिण-पूर्वी भारत व दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश में फैले सुंदरवन के मैंग्रोव के दलदलों व ज्वारीय नदियों के विशाल विस्तार में कछुओं की मुट्ठी भर प्रजातियाँ जंगल में जीवित रह सकती हैं। 2008 में टर्टल सर्वाइवल एलायंस इंडिया प्रोग्राम और सुंदरवन टाइगर रिजर्व की टीम को सर्वे में सजनेखली के तालाब में आठ नर, तीन मादा और एक किशोर बटागुर बस्का का एक समूह मिला था। सजनेखली तालाब में 12 कछुओं के साथ शुरुआत हुई जो कि अब 370 पर है।अगले साल तक इसे हजार करने का लक्ष्य है। जीपीएस टैगिंग से कछुओं की वास्तविक समय में निगरानी होगी। साथ ही प्रजनन व पर्यावरण के अनुकूल होने के तरीके पता चल सकेंगे।

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