अर्जुन तितौरिया की मार्मिक कहानी – मन से लाचार

।।मन से लाचार।।
अर्जुन तितौरिया

रमेश जोर से झल्लाकर बोला हां जाओ चली जाओ मेरे जीवन से नहीं है….. मुझे तुम्हारी जरूरत!
….रागिनी यह सुन एक बार सन्न रह गई थी…..
राकेश और रागिनी की शादी को महज चार वर्ष ही तो हुए थे। लव मैरिज थी दोनों की, एक बेटी के मां बाप है दोनों।
किसी हादसे में रमेश अपनी एक टांग खो चुका है। जबसे यह हादसा हुआ तब से चिड़चिड़ा हो गया था। रमेश, यदि कोई भी उससे अधिक सहानुभूति दिखाता तो उसको लाचारी का अहसास हो जाता था इसलिए शायद अधिक चिड़चिड़ा हो गया था। रागिनी चुपचाप घर के एक कोने में खड़ी थी अचानक रागिनी ने कहा मैं तुम्हारी भलाई के लिए बोल रही हूं, शराब छोड़ दो यह हमारा घर बर्बाद कर रही है, जितने में दारू आती है उतने पैसे में तो हमारे घर की तीन समय के खाने की व्यवस्था हो जाती है। बस यही बात रमेश को काट गई और बडबडाता हुआ लंगड़ा कर कुछ आगे चला ही था कि रागिनी फिर बोल उठी, थोड़ी शर्म करो एक बेटी के बाप हो। इतना कहते ही रमेश ने रागिनी के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।

अब रागिनी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची और उसने घर छोड़ने का फैंसला कर लिया। रागिनी बोल उठी मेरे जाने से आप खुश हो तो आज में जा रही हूं जो करना है करो, किन्तु याद रहे मेरी बेटी मेरे साथ रहेगी। दोनों में कुछ देर बहस हुई फिर रमेश बोला हां हां उसको भी ले जाओ क्यों तुम तो चाहती हो की में मर जाऊं, ताकि तुम्हे लंगड़े पति से छुटकारा मिले, कोई तुम्हे लंगड़े की पत्नी ना कहे। अश्रुधारा का समंदर बह निकली रागिनी की आंखो से, मानो किसी ने उसकी हृदय पर घात कर दिया हो। व्यक्ति जब अपने शरीर का कोई भी अंग भंग अथवा खो बैठता है तो उसको लगता है जैसे सबकी नजरों में वह बेचारा है, यह चीज उस व्यक्ति के आत्मसम्मान को लगातार कचोटती है, उसको घायल करती रहती है। कुछ यही हाल था रमेश का।

रागिनी ने बैग उठाया और बेटी को लेकर चल पड़ी रमेश गुस्से से कमरे की तरफ बढ़ा और कमरे में जाकर दरवाजा बन्द कर दिया। रागिनी जा चुकी थी रमेश को अकेले घर खाने को दौड़ रहा था। बार-बार बड़बड़ा रहा था “अरे गुस्सा आ गया था, एक थप्पड़ ही तो मारा था, घर में पति पत्नी में तू तू-मैं मैं किसमें नहीं होती इसका मतलब यह तो नहीं है कि घर छोड़ दो” रमेश जैसे दीवारों से बात कर रहा था। रमेश रागिनी को बहुत प्यार करता था बस एक हादसे ने उसके जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया था। अंदर तक टूट गया था रमेश, रागिनी ही तो उसके सुख दुःख की साथी थी। रागिनी के जाने के जाने का दर्द उसके लिए असहनीय था अभी दो ही दिन तो हुए थे रागिनी को गए अब रमेश शराब और अधिक पीने लगा, उसके शराब पीने की लत के कारण ही अब रमेश अस्त व्यस्त सा हो गया था।

आज रमेश शराब पीने के लिए बाहर गया पीने में रात कब हो गई उसको पता ही नहीं चला, अब रमेश लड़खड़ाते हुए वहां से उठा ही था कि गिर गया उठाने के लिए एक अनजान व्यक्ति ने हाथ थमाना चाहा ही था कि रमेश ने जोर से कहा, असहाय नहीं हूं मैं खुद खड़ा हो सकता हूं और फिर से खड़ा हुआ लंगड़ाता हुआ आगे बढ़ा सड़क पर ऑटो के लिए खड़ा ही था कि एक कार की जोरदार टक्कर से रमेश बराबर में रखे खोके से टकरा गया, किसी ने उसको उठा कर हॉस्पिटल में भर्ती कराया।

यह खबर रागिनी को फोन से स्थानीय पुलिस ने दी रागिनी बदहवास सी हॉस्पिटल की ओर दौड़ी। हॉस्पिटल में एक लाश को ले जाते हुए उसके घर वालों के रुदन ने रागिनी को झकझोर दिया अनिष्ठ की आशंकाओं ने रागिनी को घेर लिया। हॉस्पिटल के रिसेप्शन पर पहुंची और पेशेंट का नाम बता कमरा और हाल चाल पूंछा रिसेप्शनिस्ट ने रागिनी को उत्तर दिया “रमेश नाम का पेशेंट कमरा नंबर दस में है, वैसे आप कौन हैं उनकी”???
रागिनी ने उत्तर दिया “मैं रमेश की पत्नी हूं”।

कमरे नंबर दस में पहुंचते ही इसका रुदन फूट पड़ा खून की बोतल चढ़ी हुई थी, पट्टी बंधी थी, रक्त से कपड़े सने हुए थे, रमेश को अभी होश नहीं आया था। इतने में डाक्टर आया बोला अभी दो घंटे तक होश आ जाएगा चोट अधिक नहीं है, किन्तु शराब पीने से कमजोर होने के कारण बेसुध है। दो से तीन घंटे बाद लगभग रात्रि में रमेश को होश आया तो रागिनी रमेश के बेड के पास स्टूल पर बैठी है, उसका सर रमेश के सर के बराबर में था, सोई हुई थी…. आंखे सुजी हुई थी लगता था जैसे रात भर रोई थी रागिनी। यह सब देख रमेश की आंखे भर आई और अपने किए पर पछतावा हो रहा था किन्तु निशब्द था और बस एकटक सोई हुई रागिनी को निहार रहा था।

रमेश ने ना चाहते हुए भी रागिनी को उठाया और बोला “अरे तुम कब आई”?
अचानक हड़बड़ा कर रागिनी उठी………….
अब रागिनी और रमेश केवल एक दूसरे को निहार रहे थे और ना कहते हुए भी ख़ामोशी से रमेश ने बहुत कुछ कह दिया और रागिनी ने उसकी चुप्पी से बहुत कुछ समझ लिया रमेश बोलने ही वाला था कि रागिनी बोली “अरे आप चुप रहिए देख रहे हो कितनी चोट आईं है आपको”?
रमेश का करुण क्रंदन फूट आंसुओं का एक सैलाब सा अचानक आ पड़ा और बडबडाते हुए बोला “प्लीज वापस आ जाओ रागिनी मैं माफी मांगता हूं, अपने किए पर मुझे पछतावा है, आज के बाद में शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा, तुम पर गुस्सा भी नहीं करूंगा, वापस आ जाओ रागिनी”!!!!
रागिनी ने बेहद सीधा और सधा हुआ उत्तर दिया “मैं कहां चली गई थी, अरे तुम्हारे पास ही तो हूं, मैं तुम्हे छोड़ कर गई तो तुमसे रोज झगड़ा कौन करेगा”।

अर्जुन तितौरिया खटीक

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