जोहानिसबर्ग। भारत को नए साल में इतिहास रचने का मौका मिलेगा जब कई मैच विजेताओं की मौजूदगी वाली विराट कोहली की टीम सोमवार से यहां शुरू हो रहे दूसरे क्रिकेट टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को हराकर इस देश में पहली टेस्ट श्रृंखला जीतने के इरादे से उतरेगी। ‘बॉक्सिंग डे टेस्ट’ में सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका का किला ढहाने के बाद भारत अब जोहानिसबर्ग में जीत दर्ज करने उतरेगा जिसे देश के बाहर भारतीय टीम का ‘घर’ माना जाता है।
यहीं 2018 में भारत की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट टीम में से एक की नींव रखी गई जब काफी मुश्किल पिच पर भारत ने मेजबान टीम को हराया और टीम इंडिया को शीर्ष टीमों से भिड़ने और उन्हें उन्हीं के मैदान पर पस्त करने का आत्मविश्वास मिला। भारतीय टीम लगभग चार साल से विदेशी सरजमीं पर प्रभावी प्रदर्शन कर रही है और टीम का रुकने का कोई इरादा नहीं है।
वांडरर्स में टेस्ट जीत इस पारंपरिक प्रारूप में देश के महानतम कप्तानों में से एक के रूप में कोहली के दर्जे को मजबूत करेगी जो न्यूजीलैंड को छोड़कर चार सेना देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया) में से जीत में श्रृंखला जीत चुका होगा।दक्षिण अफ्रीका की टीम कई दिग्गज खिलाड़ियों के जाने के बाद बदलाव के दौर से गुजर रही है और भारत के पास टेस्ट श्रृंखला जीतने का इससे अच्छा मौका नहीं होगा।
दक्षिण अफ्रीका की मौजूदा टीम के लिए भारत को चुनौती दे पाना आसान नहीं होगा लेकिन मेजबान टीम के पास कागिसो रबादा और लुंगी एनगिडी जैसे तेज गेंदबाज हैं जो अकेले दम पर पर विरोधी टीम के बल्लेबाजी क्रम को ध्वस्त कर सकते हैं। विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक के 29 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने से दक्षिण अफ्रीका को झटका लगा है और इससे टीम का बल्लेबाजी क्रम और कमजोर होगा।
पच्चीस साल के रेयान रिकलटन का दूसरे टेस्ट में पदार्पण तय है लेकिन अगर वह प्रभाव छोड़ने में सफल भी रहते हैं तो भी उनके लिए जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी जैसे तेज गेंदबाजों का लाल कूकाबूरा से सामना करना आसान नहीं होगा। पैर की मांसपेशियों में चोट के कारण पहले टेस्ट से बाहर हुए डुआने ओलिवर के वियान मुल्डर की जगह खेलने की उम्मीद है लेकिन भारत के मजबूत बल्लेबाजी क्रम के खिलाफ उनकी राह आसान नहीं होगी।
निजी तौर पर कोहली ने पहले टेस्ट में राहत की सांस ली होगी क्योंकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली के साथ विवाद के बाद यह तय हो गया है कि वह अब बोर्ड के पसंदीदा नहीं हैं। कोहली पिछले दो साल से अधिक समय से शतक जड़ने में नाकाम रहे हैं और उनकी नजरें इस सूखे को खत्म करने पर टिकी होगी।