स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
डॉ. कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
हे! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
तुम जल्दी से आ जाओ।
दो साल मुश्किल से बीते,
एक एक दिन लगता भारी।
कोई कुछ ना कर पाया,
ऐसी थी बेबस लाचारी।
दुःख, चिंता और डर को,
हमसे जल्दी दूर भगाओ।
हे! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
तुम जल्दी से आ जाओ।।1।।
कोरोना रूपी छ्द्म दानव,
खुलकर घूम रहा है।
बेकार सभी हैं आयुध अपने
कोरोना झूम रहा है।
बहुत विकट घड़ी है भैया,
इससे पार लगाओ।
हे! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
तुम जल्दी से आ जाओ।।2।।
कोरोना से सब डरे हुए थे,
साथ में लाया ओमीक्रान।
फिर से छाई है अंधियारी
कैसे बचाएं अपने प्रान।
नई दिशाएं, नई उमंगे
जल्दी साथ तुम ले आओ।
हे! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
तुम जल्दी से आ जाओ।।3।।