दो सालों के लिए बंगाल पुलिस के स्थाई डीजीपी बने IPS मनोज मालवीय

कोलकाता : मनोज मालवीय को स्थाई डीजीपी के तौर पर नियुक्ति के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पास अनुमति पत्र भेजे गए थे जिसे स्वीकृति मिल गई है। इसके बाद ही मनोज मालवीय को राज्य पुलिस का स्थायी डीजीपी नियुक्त कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को आईपीएस मनोज मालवीय को राज्य का स्थाई पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में यह जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी मालवीय अभी तक अस्थाई डीजीपी के तौर पर नियुक्त थे। 31 अगस्त को तत्कालीन डीजीपी वीरेंद्र कुमार की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें यह पदभार सौंपा गया था। उनकी स्थाई नियुक्ति के लिए केंद्र के पास अनुमोदन पत्र भेजा गया था जिसकी सहमति पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिली है।

उल्लेखनीय है कि मनोज मालवीय को स्थाई डीजीपी के तौर पर नियुक्ति के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पास अनुमति पत्र भेजे गए थे जिसे स्वीकृति मिल गई है। इसके बाद ही मनोज मालवीय को राज्य पुलिस का स्थायी डीजीपी नियुक्त कर दिया गया है। इस पद पर वह दो सालों तक रहेंगे। इसके पहले वीरेंद्र राज्य के स्थायी डीजीपी थे। उनके बाद मनोज मालवीय आईपीएस कैडर में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। मनोज मालवीय 1986 आईपीएस बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने कई वर्षों तक डीजी और आईजीपी (संगठन) का पद संभाला है। उनके साथ डीजी सुमनबाला साहू, डीजी और आईजीपी (रेल) अधीर शर्मा, डीजी और आईजीपी एनफोर्समेंट ब्रांच के गंगेश्वर सिंह भी डीजीपी के पद की दौड़ में शामिल थे, लेकिन ममता सरकार ने अंत में मालवीय को प्राथमिकता दी थी। अगस्त माह में मनोज मालवीय को DG & IGP (संगठन) से राज्य पुलिस का DG नियुक्त किया गया था। वह बंगाल पुलिस के महानिदेशक वीरेंद्र की जगह कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बने थे।

इससे पहले डीजीपी की नियुक्ति के मुद्दे पर केंद्र के साथ टकराव के बीच ममता सरकार मालवीय को कार्यवाहक डीजीपी नामित करने के अगले ही दिन दो सितंबर को सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी और बिना यूपीएससी के दखल के डीजीपी की नियुक्ति की अनुमति मांगी थी। राज्य ने कहा था कि यूपीएससी के पास न तो अधिकारी क्षेत्र है और न ही उसमें किसी राज्य के डीजीपी पर विचार करने और नियुक्त करने की विशेषज्ञता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अगले ही दिन तीन सितंबर को बंगाल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें बिना यूपीएससी के दखल के डीजीपी की नियुक्ति की अनुमति मांगी थी। अदालत ने बार-बार एक ही तरह की याचिका दाखिल करने को लेकर ममता सरकार को फटकार भी लगाई थी।

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