“काशी में सब महादेव की कृपा से ही चलता है,” देखें काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की मनमोहक तस्वीरें

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी : अत्यंत आनंद एवं परम गौरव का विषय है कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवनिर्मित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण दिनांक 13 दिसंबर को किया गया। भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा के जागृत संवाहक के रूप में हमारे राष्ट्र के माननीय प्रधानमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सनातन धर्म के प्रतीक चिन्हों को उनकी गरिमा के अनुरूप पुनर्प्रतिष्ठित करने का जो संकल्प लिया गया है वह अपने आप में अद्वितीय है।

साथ ही यह चिरकाल से चली आ रही उसी परंपरा का द्योतक है जिसमें आद्य गुरु श्रीमद् शंकराचार्य जी ने धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अखंड भारत की चारों दिशाओं में चारों धामों की स्थापना कर धर्म की चैतन्यता का संदेश जनमानस को दिया था। विधर्मी आक्रांताओं जैसे कि गौरी, गजनवी, तुगलक, महमूद शाह, बाबर, अलाउद्दीन खिलजी, औरंगजेब ने अपनी विकृत मानसिकता के वशीभूत इन प्रतीक चिन्हों को विध्वंस कर सनातन की रीढ़ पर प्रहार करने का जो काम किया, उस विकृत काल के इतिहास से हम सभी सुपरिचित हैं।

परंतु सनातन की आधारशिला और धर्म स्तंभ इतने मजबूत हैं कि जब-जब इन को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई तब-तब हमारी धार्मिक चेतना ने हमें एक नई शक्ति प्रदान कर इन प्रतीकों को पुनर्जीवित करने के लिए इंगित किया। इसी परंपरा के संवाहक के रूप में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर से लेकर राजा भीमदेव और राजा कृष्णदेव राय तक, महाराजा रणजीत सिंह से लेकर आधुनिक भारत के प्रणेता सरदार बल्लभ भाई पटेल तक सभी ने किस प्रकार काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, श्री राम जन्मभूमि, श्री कृष्ण जन्मभूमि, मीनाक्षी, हंपी आदि धर्म केंद्रों को पुनर्स्थापित कर भारतीय जिजीविषा को और अदम्य इच्छाशक्ति को पोषित करने का दैवीय कार्य किया है।

हम गौरवशाली हैं कि आज हम प्रत्यक्ष रूप से हमारे माननीय प्रधानमंत्री और हमारे माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से इसी परंपरा को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नव निर्माण के रूप में पुनर्जीवित होते हुए देख रहे हैं। आने वाला समय इस कालखंड को स्वर्णाक्षरों में लिखेगा जब श्री राम लला अयोध्या में एक दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान होंगे।

अल्पकाल में ही श्री सोमनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या में श्री राम मंदिर की पुनर्प्रतिष्ठा हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व की प्रबल इच्छाशक्ति के जीवंत उदाहरण हैं। आस्था, श्रद्धा और धर्म के प्रति चैतन्यता का भाव इस परिपाटी के निर्वहन के रूप में सदा सर्वदा सर्वकाल में पोषित पल्लवित होते रहना चाहिए ताकि हम सनातन धर्म पर होने वाले किसी भी प्रकार के प्रहार को निष्फल तो कर ही सकें साथ ही यदि आवश्यकता आ पड़े तो नव सृजन का सामर्थ्य भी विकसित कर सकें।

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