कोलकाता निगम चुनाव : वामपंथी दलों को स्वयंसेवकों से है उम्मीद

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति में हाशिये पर पहुंच चुके मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा को कोलकाता के आगामी निकाय चुनावों में शहरी मतदाताओं के बीच अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के लिए ‘रेड वालंटियर्स’ (स्वयंसेवकों) की अपनी युवा ब्रिगेड से काफी उम्मीदें हैं। पश्चिम बंगाल में लगातार तीन दशक तक राज करने वाले माकपा के नेतृत्व वाम मोर्चे को इस साल हुए विधानसभा चुनाव में 294 सीटों में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी।

वाम दलों ने आखिरी बार 2005 में कोलकाता महानगर पालिका का चुनाव जीता था। अपना अस्तित्व बचाए रखने के संकट का सामना कर रही माकपा ने इस बार अपने रेड वालंटियर्स ब्रिगेड से युवा उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। रेड वालंटियर्स (लाल स्वयंसेवक) 20-30 आयु वर्ग का युवा वामपंथी कार्यकर्ताओं का एक समूह है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान जरुरतमंद लोगों की मदद कर प्रशंसा अर्जित की थी।

वाम मोर्चा इस बार कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की 144 में से 127 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, जिनमें से 47 नवगठित युवा ब्रिगेड के सदस्य हैं। माकपा के सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने केएमसी चुनावों के लिए युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया और संगठन के पुनर्गठन के तहत कुछ पुराने नेताओं को राहत दी है।

माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों में, पिछले राज्यस्तरीय सम्मेलन के बाद, हमने धीरे-धीरे संगठन के सभी स्तरों पर वृद्ध नेताओं की संख्या सीमित कर दी है। चूंकि पार्टी संगठनात्मक स्तर पर एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही थी, इसलिए हमने विधानसभा चुनाव के दौरान और अधिक युवा लोगों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया। हालांकि वे सभी हार गए, वोट शेयर जो वे हासिल करने में कामयाब रहे, वह हमारे औसत वोट शेयर से कहीं अधिक था।

इसलिए इस बार, केएमसी चुनावों के दौरान, अधिक युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला एक बुद्धिमतापूर्ण निर्णय है। एसएफआई(स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) के राज्य सचिव सृजन भट्टाचार्य के अनुसार, राज्य में लगभग 1.5 लाख रेड वालंटियर्स हैं, जिनमें से 25 हजार कोलकाता में ही सक्रिय हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वामपंथी कभी भी भौतिक लाभ पर नज़र रखने वाले लोगों के लिए काम नहीं करते हैं। महामारी की दूसरी लहर के दौरान रेड वालंटियर्स (लाल स्वयंसेवक) की संख्या में वृद्धि हुई क्योंकि अधिक लोग मदद के लिए हमारे पास पहुंचे। 2015 में पिछले केएमसी चुनावों में सत्तारूढ़ टीएमसी ने 124 वार्ड जीते थे, वाम मोर्चा ने 13 जबकि भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस ने क्रमशः पांच और दो वार्ड जीते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine − two =