कोलकाता : आज वर्ल्ड ओलिव ट्री डे के मौके पर 257वां वेबीनार का विषय आयुष मेडिसिनल इम्पोर्टेंस ऑफ़ ओलिव था। ओलिव जिसको हिंदी में जैतून कहते हैं, यूनानी और आयुर्वेद में इसका काफी उपयोग होता है। होस्ट एवं मॉडरेटर डॉ. पवन कुमार शर्मा, प्रेजिडेंट IRES ने ईश्वर स्तुति से कार्यक्रम का शुरुआत किया। डॉ. मोहसिन देहलवी, सीनियर यूनानी एक्सपर्ट ने कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में कहा कि जैतून का वर्णन ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथों में भी है। उन्होंने प्रथम वक्ता डॉ. शरीक खान को उनके क्लीनिकल ट्रायल के बारे में बताने को कहा।
डॉ. शरीक खान, असिस्टेंट प्रोफेसर यूनानी मेडिकल कॉलेज, पुणे ने बताया की जैतून या ओलिव प्राचीन वृक्ष है, इसका उपयोग बाहरी और भीतरी दोनों तरह से होता है। उन्होंने अपने क्लीनिकल ट्रायल गल्ल स्टोन्स के बारे में बताया। उन्होंने 70 के ऊपर गल्ल ब्लैडर स्टोन पेशेंट में ओलिव आयल का प्रयोग दवा के तौर पर किया और इसके काफी अच्छे परिणाम मिले। दूसरे वक्ता डॉ. हसीना रियाज, आयुर्वेद एक्सपर्ट कालीकट से थीं, मैडम हेल्थ ब्यूटी स्पेशलिस्ट हैं, उन्होंने बताया की ओलिव आयल का प्रयोग स्किन हाइड्रेशन में होता हैं। फेस पैक मास्क से ले कर काजल मस्कारा रिमूवर का भी प्रयोग होता है। इसके बॉडी आयल का इस्तेमाल स्ट्रेच मार्क रिमूवर और फेस आयल में फ्रेकल्स में प्रयोग को बताया।
ओपन डिस्कशन में डॉ. ग़ज़ल मुल्ला ने बताया कैसे ऑलिव एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता हैं और बहुत सारे रोगों में यहाँ तक वस्ति (एनीमा) में भी प्रयोग हो सकता है। उन्होंने बताया ये उष्ण रेचक भी है, एरंड तेल की तरह। डॉ. हरीश वर्मा जो कि कनाडा से जुड़े थे, उन्होंने बताया कि कुकिंग आयल की तरह इसे सहदारनट का प्रयोग किया जाता है। चर्चा में ये बात आयी की भारत के जलवायु के हिसाब से और इसके इकनोमिक वैल्यू से इसे सलाद ड्रेसिंग में ही उसे करना ठीक हैं और वर्जिन हरा ओलिव आयल बेहतर होता है। अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक या यूनानी डॉक्टर से संपर्क करे।
डॉ. गुलामुद्दीन सोफी, यूनानी फार्मा एक्सपर्ट, बैंगलोर से जुड़े थे उन्होंने भी ऑलिव को लेकर बहुत अच्छी बातें बताई। डॉ. अग्निहोत्री ने कार्यक्रम का समापन टिप्पणी दिया। डॉ. जगदीश्वर जी तेलंगाना से, प्रो. मीना आहूजा, शक्तिपाड़ा, शिबानी मुख़र्जी, समदूर, पार्थप्रतिम गिरी, परीक्षित देबनाथ और जयेश ठक्कर जैसे डॉक्टर्स भी जुड़े हुए थे इस वेबेक्स ऑनलाइन मीट में। आज का पूरा कार्यक्रम यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। ओलिव हो या कोई और औषधि पौधा, इसके बारे में जानकार से और अधिक जानिये प्रकृति से जुड़ें और आयुष पद्धति को ठीक से जाने।