नीलांबर द्वारा ध्रुवदेव मिश्र पाषाण पर केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन

कोलकाता : नीलांबर कोलकाता द्वारा ‘कोलकाता के रचनाकार’ श्रृंखला के तहत हिंदी के वरिष्ठ कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण पर केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन 20 नवंबर की शाम सागर, सियालदह ऑफिसर्स क्लब में किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र के आरंभ में उनकी कविताओं पर आधारित वीडियो मोंताज प्रस्तुत किया गया। जिसमें कविता की आवृत्ति स्मिता गोयल की थी। नीलांबर की टीम द्वारा ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविताओं पर निर्मित कोलाज एवं उनकी कविताओं का पाठ प्रस्तुत किया गया। जिसमें हिस्सा लेने वाले कलाकारों में शामिल थे स्मिता गोयल, शैलेश गुप्ता, अनिला राखेचा, चयनिका दत्ता गुप्ता, रौनक अफरोज, अनुपमा झा, दीपक ठाकुर, हंसराज, पूनम सोनछात्रा, अजय सिंह, मौसमी प्रसाद, जान्वी अग्रवाल।

स्वागत वक्तव्य में संस्था के संरक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि वे विचारों से ध्रुव और व्यक्तित्व से पाषाण हैं। पाषाण जी उस युग के कवि हैं, जब समाजवाद का सपना लेकर हम उठ रहे थें। टूटते-टूटते संभल रहे थें। नीलांबर के अध्यक्ष यतीश कुमार ने कहा कि पाषाण जी ऊर्जा के, आक्रोश के, असहमति के, संघर्ष के, प्रतिरोध के, रक्त-राग लिए क्रांति के कवि हैं। हमारे जनप्रिय कवि जिनकी कविताएँ सिर्फ दुलारती ही नहीं बल्कि झकझोरती भी हैं। इस सत्र का संचालन रचना सरन ने किया।

कार्यक्रम के व्याख्यान सत्र में ध्रुवदेव मिश्र पाषाण के रचना कर्म को समग्रता से देखने का प्रयास किया गया। इस सत्र के मुख्य वक्ता थे कृष्ण कल्पित, नीलकमल, और नीरज कुमार सिंह। सभी वक्ताओं ने उनके रचना कर्म के विभिन्न पहलुओं पर सारगर्भित चर्चा की। युवा आलोचक नीरज कुमार सिंह ने कहा कि पाषाण जी की कविता को किसी फ्रेम में नहीं बाँधा जा सकता। मार्क्सवादी, नक्सलबाड़ी, समाजवादी तीन तरह के आंदोलन का प्रभाव उनकी कविताओं में दिखता है। वैचारिक प्रतिबद्धता के दृष्टिकोण से इनकी कविता नई संभावनाओं को जन्म देती हैं। इनकी कविताएं उस धरती की हैं जिसकी नाभि का अमृत कभी नहीं सूखता। कवि एवं आलोचक नील कमल ने कहा कि पाषाण जी राजनीतिक चेतना, जीवन संघर्ष, भारतीयता, लोक चेतना, प्रेम व सौंदर्य के कवि हैं।

प्रतिष्ठित कवि कृष्ण कल्पित ने कहा कि पाषाण जी केवल कोलकाता के कवि नहीं, बल्कि हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण कवि हैं। वे जनवादी आंदोलन के पुरोधा अपने सभी समकालीन कवियों से किसी भी रूप में कमतर नहीं हैं। ध्रुवदेव मिश्र पाषाण ने अपने रचनाकर्म के बारे में बात करते हुए काफी भावुक होकर कहा कि जिसे कोलकाता ने इतना प्यार दिया उसे और चाहिए भी क्या। मुझे कोई शिकायत नहीं है जमाने से। मैं धरती का कवि हूँ, मैं अपना ही पुनर्जन्म होते देख रहा हूँ। मेरे कवि होने की सार्थकता भी यही है कि मुझे उन लोगों का प्यार मिला जिन पर किसी का दबाव नहीं है। मुझे सब कुछ मिला, कौन चाहेगा इस दुलार को छोड़कर मरना। मेरे लिए कविता साधन ही नहीं साध्य भी है, सिद्धि भी है। उन्होंने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया। इस सत्र का संचालन विमलेश त्रिपाठी ने किया।

कार्यक्रम के अंत में कोलकाता दूरदर्शन के अतिरिक्त निदेशक सुधांशु रंजन के हाथों स्मृति चिह्न देकर ध्रुवदेव मिश्र पाषाण का सम्मान किया गया। इस अवसर पर कोलकाता के कई साहित्यप्रेमी मौजूद थे। कार्यक्रम के संयोजन में विमलेश त्रिपाठी, हंस राज और रचना सरन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। तकनीकी टीम में ऋतेश कुमार, मनोज झा, विशाल पांडेय, अभिषेक पांडेय और भरत साव की महत्वपूर्ण भूमिका रही। धन्यवाद ज्ञापन हंस राज ने किया।

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