नई दिल्ली : चारधाम यात्रा के प्रसिद्ध तीर्थ बदरीनाथ और केदारेश्वर धाम के कपाट बंद होने जा रहे हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत मंगलवार 16 नवंबर से भगवान बदरीनाथ की पंच पूजाएं शुरू की जाएगी। उत्तराखंड चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री में कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दी स्थलों में छ माह शीतकालीन पूजाएं होती हैं। अभी तक 4 लाख 85 हजार से अधिक तीर्थयात्री उत्तराखंड चारधाम दर्शन को पहुंच गये हैं।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने आईएएनएस को बताया कि मंगलवार से भगवान बदरीविशाल की पंच पूजाएं शुरू हो रही हैं। 16 नवंबर को गणेश पूजा एवं कपाट बंद होंगे। 17 नवंबर श्री आदि केदारेश्वर जी के कपाट बंद हो जायेंगे। 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन होगा। इस दिन से वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जायेगा। देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के डॉ. हरीश गौड़ ने बताया 19 नवंबर को मां लक्ष्मी पूजा एवं आह्वान होगा। 20 नवंबर को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
कपाट बंद होने के बाद 21 नवंबर को प्रात आदि गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी रावल जी सहित उद्धव जी, कुबेर जी योग -ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेंगे। श्री उद्धव एवं श्री कुबेर योग -ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान हो जायेंगे। दिनांक 22 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी एवं रावल जी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगे। योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी। प्रशासन के मुताबिक ऋषिकेश स्थित चारधाम यात्रा बस टर्मिनल पर सभी विभागों यथा चिकित्सा, पुलिस, परिवहन, यात्रा प्रशासन संगठन, पर्यटन, देवस्थानम बोर्ड, नगरनिगम के हेल्प डेस्क और यात्री पूछताछ काउंटर अभी भी कार्यरत हैं। हरिद्वार एवं ऋषिकेश यात्रा बस अड्डे से तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम रवाना हो रहे हैं।
केदारनाथ भगवान की पंचमुखी उत्सव मूर्ति 6 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद विगत सोमवार 8 नवंबर को पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में स्थापित होते ही भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हुई हैं। कपाट बंद होने के बाद परंपरागत रूप गंगोत्री धाम की शीतकालीन पूजाएं गद्दीस्थल मुखबा (मुखीमठ) तथा श्री यमुना की शीतकालीन पूजाएं खरसाली (खुशीमठ) में संपन्न हो रही हैं। केदारनाथ धाम सहित गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए हैं द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे, 25 नवंबर को मेला आयोजित होगा।