कोलकाता। काली पूजा की रात गुरुवार को दक्षिण कोलकाता के कुछ हिस्सों को छोड़कर शहर के ज्यादातर क्षेत्रों से पटाखे जलाने की बहुत कम घटनाएं सामने आई, इसके बावजूद महानगर में वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ से ‘खराब’ श्रेणी में चली गई। पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोलकाता के कुछ इलाकों जैसे कस्बा, यादवपुर, गरिया, बांसद्रोणी और काशीपुर, दमदम, सिन्थि, बड़ानगर और चितपुर को छोड़कर कहीं और से पटाखे जलाने की बहुत कम बहुत घटनाएं सामने आईं और काली पूजा पर शांति रही। अधिकारी ने बताया कि बृहस्पतिवार को शाम पांच बजे रबींद्र भारती विश्वविद्यालय (आरबीयू) क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 260 था।
इसके अलावा बालीगंज में 171, बिधाननगर में 227, फोर्ट विलियम में 189, यादवपुर में 229, विक्टोरिया मेमोरियल में 146 और रबींद्र सरोवर में 148 एक्यूआई दर्ज किया गया। अधिकारी ने कहा कि उत्तर कोलकाता के आरबीयू इलाके में शुक्रवार सुबह नौ बजे एक्यूआई 315 (पीएम 2.5) था जो कि दीवाली के दिन 280 था। बोर्ड के अधिकारी ने कहा कि ठंड के मौसम के कारण हवा में प्रदूषण कारक सूक्ष्म कण ज्यादा देर तक रहते हैं। उन्होंने कहा, “हवा की गुणवत्ता में गिरावट के लिए पटाखों को पूरी तरह दोष नहीं दिया जा सकता।
हवा में आर्द्रता और वाहनों से निकलने वाला धुआं इसका मुख्य कारण है क्योंकि काली पूजा की रात भारी संख्या में वाहन सड़कों पर थे। हमारी जानकारी के अनुसार, दक्षिण कोलकाता के कुछ इलाकों जैसे कस्बा, यादवपुर, गरिया, बांसद्रोणी और काशीपुर, दमदम, सिन्थि, बड़ानगर और चितपुर को छोड़कर कहीं और से पटाखे जलाने की बहुत कम बहुत घटनाएं सामने आईं और काली पूजा पर शांति रही।” इस बीच पर्यावरणविद सोमेंद्र मोहन घोष ने दावा किया कि देर शाम तक पटाखे जलाये गए इसलिए शुक्रवार को 12 घंटे बाद भी वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ।