मलिक नवाबी झाड़ रहा है, जैसे कौवा स्याना हो
बेगानी शादी में मानो, अब्दुल्ला दीवाना हो
लगता है अन्तिम बेला में, पंख उगे हैं चींटी के
तम से लड़ती लौ पर जैसे, कूद पड़ा परवाना हो
डीपी सिंह
मलिक नवाबी झाड़ रहा है, जैसे कौवा स्याना हो
बेगानी शादी में मानो, अब्दुल्ला दीवाना हो
लगता है अन्तिम बेला में, पंख उगे हैं चींटी के
तम से लड़ती लौ पर जैसे, कूद पड़ा परवाना हो
डीपी सिंह