श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ : बीती रात शहर के सड़क में हुए गड्ढों की वजह से दुर्घटनाग्रस्त होकर एक नव जवान बाइक सवार की मौत और अन्य दो बाइक सवार गंभीर रुप से घायल हो गए थे। अगले दिन टीवी-अखबारों में रात की दुर्घटना का जिक्र था। लोगों में रोष भर गया। विरोधस्वरुप निकले जुलूस से सड़कें जाम हो गई। दोषियों को तत्काल सजा देने की मांग होने लगी।
घटना की छानबीन होने पर पता चला कि शहर में एक बड़े स्थानीय नेता का आगमन हुआ था। उनके स्वागत के लिए जगह-जगह स्वागत-द्वार का निर्माण किया गया था। बाद में स्वागत-द्वार तो हटा लिया गया पर गड्ढों को समतल नहीं किया गया था। इस वजह से वे गड्ढे दुर्घटना का कारण बने।
फटाफट नेता जी का बयान आया। दुर्घटना में मृत व्यक्ति के परिजन को दो लाख और घायल हुए दो लोगों को पचास-पचास हजार दिए जाएंगे।
मुआवजा देने के लिए एक आयोजन रखा गया। मंच से उद्घोषणा हुई कि अब हमारे माननीय नेताजी दुर्घटना में मृत्यु हुए व्यक्ति के पिताजी को दो लाख का चेक प्रदान करेंगे। मृतक के पिताजी आए और मंच पर चढ़कर सहसा माइक पर बोलने लगे, “नेताजी, मैं यह चेक तभी स्वीकार करूंगा जब वह चेक आपका खुद का होगा। मतलब रुपया आपका अपना होना चाहिए, अन्यथा नहीं। आखिर किस अधिकार से आप जनता का पैसा बांटते फिरते हैं। वो भी तब, जब आपकी वजह से ही यह दुर्घटना हुई। कोई सार्वजनिक हित के लिए उन स्वागत द्वारों को नहीं बनाया गया था। इसलिए आपको कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि इस तरह जनता का धन खर्च करें।”
नेता जी के लिए काटो तो खून नहीं की स्थिति बन गई थी। उपस्थित जनता ने ताली बजाकर पीड़ित पिता की बात का भरपूर समर्थन किया।