सबिता शाह की कविता

सबिता शाह की कविता

अच्छा होता है….
तन का काला होना।
आपको नजर नहीं लगती।
आप सबकी नजरों से,
अक्सर बच जाते है।
सपने सजते है आंखों में,
पर कभी दर्द नहीं होता।
क्योंकि किसी के दिलो पर?
आपका राज नहीं होता।
कोई याद नहीं करता,
कोई याद नहीं आता।
किसी के लिये दिल,
फरियाद नहीं करता।

पर अच्छा नहीं होता…
मन का काला होना।
आप आंखों में बसकर,
फिर आंसू ही देते है।
भरोसा और प्यार का,
आप गला घोंट देते है!
हाँ! अच्छा नहीं होता…
आपके तन का काला होना!!

सबिता शाह

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