बीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, वकीलों की हड़ताल, अदालती बहिष्कार रोकने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव

नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह वकीलों की हड़ताल को रोकने के लिए नियम बनाएगी। इसके साथ ही बीसीआई ने कहा कि वह वकीलों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अदालत की सुनवाई से दूर रहने के लिए उकसाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू करेगी।

बीसीआई के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह की पीठ से कहा कि उन्होंने 4 सितंबर को सभी राज्य बार एसोसिएशनों की बैठक बुलाई है। मिश्रा ने पीठ को बताया कि बीसीआई ने सभी बार एसोसिएशनों के साथ बैठक बुलाई है।

मिश्रा ने प्रस्तुत किया, “हम वकीलों द्वारा हड़ताल को कम करने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव करते हैं और हम अब सोशल मीडिया पर हड़ताल को भड़काने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेंगे।” सुनवाई की शुरुआत में मिश्रा ने पिछले साल अदालत के आदेश के अनुपालन में सुझाव नहीं देने के लिए माफी मांगी। उन्होंने कोविड-19 महामारी की शुरुआत का हवाला देते हुए कहा कि वह इस दौरान सुझाव दाखिल नहीं कर पाए।

शीर्ष अदालत ने मिश्रा की दलीलें दर्ज (रिकॉर्ड में रखी) कीं और बीसीआई द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना की। इससे पहले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने वकीलों की हड़ताल के मुद्दे से निपटने के लिए बीसीआई अध्यक्ष से मदद मांगी थी। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई सितंबर के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की है।

शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। इसने कहा था कि उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों में हर शनिवार को अदालतों का बहिष्कार करना न्यायोचित नहीं है, बल्कि यह अदालत की अवमानना के समान है। यह देखते हुए कि एक महीने के दौरान वकील तीन से चार दिनों की हड़ताल पर थे, शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर वकील उन दिनों में काम करते तो इससे त्वरित न्याय प्राप्त करने में मदद मिलती।

शीर्ष अदालत ने 26 जुलाई को अपने 28 फरवरी, 2020 के फैसले का हवाला दिया थे, जिसमें बीसीआई और राज्य बार काउंसिल को वकीलों की हड़ताल और अदालती कार्यवाही के उनके बहिष्कार को रोकने के लिए सुझाव देने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने बीसीआई अध्यक्ष से इस मुद्दे पर मदद करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने अपने फरवरी के फैसले में वकीलों की हड़ताल पर चिंता व्यक्त की थी।

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