कोलकाता। माकपा ने दिवंगत माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल राज्य महासचिव अनिल बिस्वास की बेटी अजंता विश्वास को उनके लेखों के लिए छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है। टीएमसी के मुखपत्र जागो बांग्ला का शीर्षक – ‘बोंगो राजनीतित नारीशक्ति’ (बंगाल राजनीति में महिला शक्ति) जहां उन्होंने स्वतंत्रता से पूर्व से लेकर वर्तमान समय तक पश्चिम बंगाल में महिला राजनेताओं के योगदान पर चर्चा की है।
कोलकत्ता जिला समिति से अजंता के जवाब वाली एक रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद सीपीआई (एम) की राज्य समिति ने अपने अलीमुद्दीन स्ट्रीट मुख्यालय में शनिवार को यह निर्णय लिया। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पार्टी के शिक्षक संघ ने की थी।
रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में इतिहास पढ़ाने वाले बिस्वास ने प्रसिद्ध बंगाली राष्ट्रवादी नेता और अधिवक्ता चित्तरंजन दास की पत्नी बसंती देवी से अपने चार-भाग के लेख में लिखा है, जिनका ममता बनर्जी तक अपने पति के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान था।
उन्होंने ममता बनर्जी के राजनीतिक जीवन के बारे में विस्तार से लिखा और सिंगूर में आंदोलन को ‘गण बिखोभ (जन आंदोलन)’ कहा, जिससे सियासी पारा चढ़ गया। सीपीएम नेताओं ने माना कि व्यक्त किए गए विचार पार्टी लाइन के अनुरूप नहीं थे।
सीपीएम क्षेत्र समिति ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। सूत्रों ने कहा कि कारण बताओ नोटिस के जवाब में अजंता ने लेखों के लिए खेद व्यक्त किया, लेकिन पार्टी संतुष्ट नहीं थी। उन्होंने राज्य में महिला राजनेताओं पर लेखों का बचाव किया था।