राजीव कुमार झा। रेल को विकास की जीवनरेखा कहा जाता है और बिहार में हावड़ा-पटना रेलमार्ग पर किऊल-गया रेलखंड में पटरी के दोहरेकरण का कार्य इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस योजना में इस रेलखंड में स्थित तमाम स्टेशनों के भवनों और छोटे-बड़े रेलपुलों को नये सिरे से फिर बनाया जा रहा है और शेखपुरा से बरबीघा होते बिहारशरीफ की यात्रा भी सुगम हो जाएगी।
बिहार में नालंदा और नवादा जिले के अलावा पटना के सुदूर ग्रामीण इलाकों में आजादी के इतने सालों के बाद सरकार के द्वारा रेल सुविधा के विकास से अब यहाँ एक नये युग का सूत्रपात हो रहा है। रेल औद्योगिक विकास का आधार है। बाढ़ की समस्या से भी बिहार का विकास बाधित रहा है।
रेल व्यवस्था में निजी क्षेत्र की भागीदारी की चर्चाएँ भी अक्सर सुनने को मिलती है। यह बेहतर होगा कि रेल संचालन का अधिकार राज्यों को भी प्रदान किया जाय। बिहार में बरबीघा-मोकामा रेलखंड का विकास भी जरूरी है। इसके अलावा टाल क्षेत्र से गुजरने वाली सड़कों को ऊँचा करना भी आवश्यक है क्योंकि बरसात के मौसम में यह सारा क्षेत्र टापू बन जाता है। इस साल भी बड़हिया टाल और यहाँ के दियारे में गंगा का पानी फैल गया है और इससे यहाँ के सैकड़ों गाँव प्रभावित हैं।