नई दिल्ली। विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थान योजना के तहत भारत में अब तक कुल बारह संस्थानों (08 सार्वजनिक और 04 निजी) को मंजूरी दी गई है। इन संस्थानों को नियामक ढांचे के तहत शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में महत्वपूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई है ताकि वे वैश्विक शैक्षणिक संस्थानों के रूप में उभर सकें।
सरकार सार्वजनिक संस्थानों को 1000 करोड़ (पांच साल की अवधि में) रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक इस योजना में चयनित संस्थानों को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) के रूप में चयन के बाद दस वर्षों की अवधि में वैश्विक शैक्षणिक संस्थानों के शीर्ष 500 में शामिल करने कल्पना की गई है। शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों की सूची में शामिल होने के लिए इन संस्थानों में सुधार करने की कल्पना भी की गई है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत सरकार वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के लिए देश में उच्च शिक्षण संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में, विश्व स्तरीय संस्थान योजना वर्ष 2017 में शुरू की गई थी ताकि सार्वजनिक और निजी श्रेणी के दस संस्थानों को विश्व स्तर की शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान की जा सकें। साथ ही उन्हें इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिया जा सके।
वहीं देश के सबसे बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शामिल दिल्ली विश्वविद्यालय ने लद्दाख विश्वविद्यालय के साथ शिक्षा के आदान-प्रदान को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है गुरुवार को दोनों विश्वविद्यालयों के बीच यह समझौता हुआ इस समझौते के अंतर्गत दिल्ली विश्वविद्यालय विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं अन्य कार्यक्रमों के क्षेत्र में लद्दाख विश्वविद्यालय की मदद करेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय, जो अपने शताब्दी वर्ष में है, ने आपसी हितों की गतिविधियों को शुरू करने के लिए 5 अगस्त 2021 को देश के सबसे युवा विश्वविद्यालय, लद्दाख विश्वविद्यालय के साथ पांच साल की अवधि के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।