बन्द हो राज्य सरकारों की नौटंकी

राजकुमार गुप्त, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध।
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।।

सभी राज्य सरकारें अब बहानेबाजी छोड़ कर स्पष्ट करें कि कौन कितनी रेलगाड़ी अपने-अपने राज्य के दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों तथा आमलोगों को वापस लाने के लिए केंद्र से ले रहा है तथा केंद्र भी सभी राज्यों के रेलगाड़ीयों के प्रतिदिन का अपडेट दे, जिससे कि संबंधित राज्य के लोगों को भी अपनी सरकार की असलियत का पता चले। बहुत हो चुकी बहानेबाजी सभी सरकारों की तथा आरोप-प्रत्यारोप का खेल केंद्र बनाम राज्यों की। राज्य सरकारें गरीबों और प्रवासी मजदूरों को खाना नहीं दे सकती है परंतु अपनी सरकारों का ढोल पीटने के लिए करोड़ों का खर्च विज्ञापनों पर कर रही है।

बंद हो इस तरह की नाटकबाजी और विज्ञापन के नाम पर मीडिया को रिश्वत देकर अपनी सरकार की नाकामी को छुपाने की नाकाम कोशिशें… विज्ञापनों पर खर्च होने वाले यही रुपए अगर मजदूरों के रहने और खाने पर खर्च किए जाते तो इस तरह से मजदूर जान हथेली पर रखकर संबंधित राज्यों से पलायन करने को बाध्य नहीं होतें तथा गलत तरीके से पलायन करने के चक्कर में यूं ही अपनी जान लगातार नहीं गंवा रहे होते। केंद्र सरकार से अपील है कि यदि कोई राज्य सरकार लापरवाही बरत रही है तो उसे बर्खास्त करें या फिर इस वैश्विक महामारी के वक्त देश में कुछ समय के लिए आपातकाल लागू करें नहीं तो स्थिति बद से बदतर होती जाएगी और हो भी रही है तथा लोग कीड़े-मकोड़ों की तरह मरने को बाध्य होते रहेंगे।

आज देश में ज्यादातर बड़े शहरों की स्थिति सबसे अधिक खराब है, इस स्थिति में संबंधित शहरों के पार्षदों, विधायकों और सांसदों कि क्या यह जिम्मेदारी नहीं है कि अपने इलाके के लोगों की खोज खबर ले और अपने लोगों द्वारा कड़ी निगरानी करें परंतु आज की स्थिति को देखकर लगता नहीं कि इनमें से ज्यादातर जनप्रतिनिधि जिम्मेदारी से अपने कामों को अंजाम दे रहे हैं वह तो भला हो देश के स्वयंसेवी संगठनों का जो हर हालात में भी दिन रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। आज देश की जनता सब सब समझ रही है परंतु अभी समय खराब चल रहा है अतः मजबूरी है चुप रहने की, इस मजबूरी का फायदा न उठाओ सरकार। गरीब जनता आज याचना कर रही हैं आप सभी सरकारों से, कल यही जनता कहीं ये ना कह दे कि…

याचना नहीं अब रण होगा,
जीवन जय या की मरण होगा।

नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत हैं । इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seven + seven =