राजीव कुमार झा : हमारे देश के प्राचीन नगरों में बिहार के राजगीर का नाम प्रसिद्ध है। बौद्ध ग्रंथों में इस नगर का काफी उल्लेख है। यहाँ के राजा बिंबिसार और अजातशत्रु भगवान बुद्ध के भक्त थे। वर्षा ऋतु में बुद्ध राजगीर में ही गृद्धकूट पर्वत पर शैलाश्रय में आकर वास किया करते थे। यहाँ इस स्थल को चिह्नित किया गया है। महाभारत में जरासंध को राजगीर का शासक कहा गया है। यहाँ उसका अखाड़ा भी है। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में बिंबिसार की जेल भी है।
बिंबिसार भी यहाँ का राजा था और उसके पुत्र अजातशत्रु ने उसे अपदस्थ कर सिंहासन पर अधिकार कर लिया था। यहाँ एक स्थल को बिंबिसार का जेल कहा जाता है। अजातशत्रु ने अपने पिता बिंबिसार को यहाँ बंदी बनाया था।
राजगीर का प्राचीन नाम राजगृह है और इसे गिरिव्रज कहकर भी पुकारा गया है। अजातशत्रु यहाँ का प्रतापी राजा था और उसने यहाँ अपना किला बनवाया और इस नगर को दीवारों से घिरवाया। यहाँ इसके अवशेष विद्यमान हैं।
राजगीर हिंदुओं का भी प्राचीन तीर्थस्थल है और यहाँ ब्रह्मकुंड के पास कई मंदिर हैं। हिंदू शास्त्रों में इस नगरी को पवित्र कहा गया है। यहाँ मलमास का मेला लगता है और इस दौरान सारे देवता यहाँ वास करते हैं। ब्रह्मकुंड के पास गर्म पानी के कई अन्य झरने भी है।
यह नगर जैन धर्म का भी प्राचीन केंद्र रहा है और इस धर्म के बीसवें तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ स्वामी की जन्मभूमि होने का श्रेय भी इस नगर को प्राप्त है। भगवान महावीर की प्रथम देशना भूमि भी इसे कहा जाता है। यहाँ वीरायतन नामक सुंदर जैन संग्रहालय भी है।
राजगीर में विश्व शांति स्तूप की स्थापना की गयी है। यहाँ जाड़े के मौसम में पर्यटक घूमने आते हैं। यहाँ वेणुवन नामक सुंदर उद्यान भी है। पटना और गया से रेलगाड़ी, बस, कार से राजगीर की यात्रा सुगम है। राँची से भी नवादा होकर राजगीर पहुंचने का रास्ता है।