किरण नांदगाँवकर, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) : अंततः भारत की श्रीलंका गई नवोदित टीम ने एक दिवसीय श्रृंखला 2-1 से जीत ली। श्रीलंका गई यह टीम श्रीलंकाई पूर्व कप्तान और नेता रणतुंगा के कारण थोडी सी विवादों में थी। लेकिन श्रीलंकाई बोर्ड ने जब भारत की इस टीम को अपना पूर्ण समर्थन दिया तब सारे विवाद वहीं ठंडे पड गए।
भारतीय टीम ने शुरुआती दोनों एकदिवसीय जीतकर पहले ही श्रृंखला अपने नाम कर ली थी। अंतिम मैच में भारतीय टीम ने एक साथ पाँच खिलाडियों को One day cap पहना दी। लेकिन मैदान में उतरी यह नई टीम वह प्रदर्शन नहीं दिखा सकी जिसकी अपेक्षा हम नवोदितों से कर रहे थे। इस तीसरे एकदिवसीय में भारत के बल्लेबाज वैसा स्कोर नहीं खड़ा कर सके जो भारत को जीत दिला सके।
भारत ने श्रीलंका के सामने जीत के लिए 225 रन का लक्ष्य रखा था। आजकल 225 रन टी-20 में बन जाते है। इसलिए यह स्कोर हार का सबब बना। कई युवा पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे थे इसलिए 06 कैच छूटना और 28 अतिरिक्त रन दबाव और अनुभव की कमी की कलई खोल गया।
शिखर धवन भी एक “B” टीम के मजबूरी में जबरदस्ती बनाएँ गए कप्तान है यह तब जाहिर हो गया जब वे फिल्ड रिस्ट्रक्शन भूलकर पाँच की जगह छह खिलाड़ीयों की तैनाती कर नो बॉल खा बैठे !!! फिर भी भारत की यह युवा टीम अच्छा क्रिकेट खेली। लेकिन यदि इन खिलाड़ियों में और थोड़ा धैर्य और समर्पण होता तो परिणाम क्लीन स्वीप के रुप में आते।
वैसे भारत के युवा बल्लेबाजी, गेंदबाजी, फिल्डिंग (अंतिम मैच छोडकर) में फिर भी बेहतर नज़र आई। दरअसल भारत के सभी बल्लेबाज बल्लेबाजी अच्छी तो कर रहे थे लेकिन बहुत अच्छी बल्लेबाजी किसी भी बल्लेबाज ने नहीं की।
दरअसल हम यह श्रृंखला जीते जरुर लेकिन किसी भी बल्लेबाज ने ऐसा व्यक्तिगत स्कोर नहीं बनाया जिसकी मुक्त कंठ प्रशंसा की जा सके। पृथ्वी शॉ, इशान किशन, सूर्या, संजू सैमसन ने बल्लेबाजी अच्छी की लेकिन बड़ा व्यक्तिगत स्कोर बनाने के जज्बें का अभाव उनमें नज़र आया। पृथ्वी और सूर्या तो दोनो तकनीकी रुप से बढिया बल्लेबाजी कर लेते है। बस इन दोनों को जरुरत है विकेट पर थोडा और रुककर खेलने की।
यदि इसी बल्लेबाजी स्ट्राईक रेट से ये विकेट पर थोडा रुकना शुरु कर दे तो ये दोनों ग़जब की बल्लेबाजी कर सकते है। गेंदबाजी में ऐसा नया कुछ हाथ नहीं लगा जिसकी चर्चा कि जा सके। कुलदीप-चहल को लम्बे समय बाद साथ खेलते देखना थोडा सुखद रहा। लेकिन ये अब फिर शायद ही कभी साथ खेलते नजर आए।
बतौर कोच टीम के साथ इस बार मिस्टर डिपेंडेबल राहुल द्रविड़ थे। दरअसल द्रविड़ जितना नाम बतौर एक श्रेष्ठ बल्लेबाज भारत के लिए कमा चूके थे उतना ही चर्चित वे बतौर कोच रहे है। वे पहले से ही U19 टीम के कोच रहे है और उन्होंने भारत की U19 टीम को 2016 के विश्व कप में फाइनल तक पहूँचाया और 2018 में द्रविड़ के कोच रहते भारत की U19 टीम विश्व कप ही जीत लाई। वे कोच के रुप में श्रेष्ठ माने जाते है और कई खिलाड़ी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर तैयार किए है।
द्रविड़ जब U19 कोच थे तब उनको भारत की मुख्य टीम की कोचिंग के लिए ऑफर आया लेकिन उन्होंने उसे सिरे से खारिज कर दिया था। उनका कहना था वे इन्हीं युवाओं को प्रशिक्षित करने में खुश है। इस बार श्रीलंका दौरे पर हमकों द्रविड़ की बतौर कोच बौधिकीय क्षमता तब दिख गई जब दूसरे एकदिवसीय में भारत की टीम पौने दो सौ रन पर 7 विकेट गंवा चुकी थी और मैच भारत लगभग हार चूका था लेकिन उन्होंने दीपक चहर को यहां प्रमोट कर उन्हें हर गेंद खेलने का पाठ पढाया और फिर दीपक चहर ने वह कर दिखाया जो इतिहास बन गया।
दरअसल इस श्रृंखला को जीतने में बतौर कोच राहुल द्रविड़ का योगदान भी उतना ही है जितना खिलाडियों का। अब T-20 श्रृंखला बची है। भारत के ये सभी खिलाड़ी आइपीएल के इसी फॉर्मेट में तोड़-फोड़ वाला क्रिकेट खेलते है। पृथ्वी, इशान, सूर्या, राणा, सैमसन, पांड्या बंधू, चहल, भुवि, चहर बंधू, कृष्णप्पा सब के सब आइपीएल में गदर मचा देते है। इसलिए उम्मीद करनी चाहिए की T-20 में कोई मुकाबला नहीं होंगा और ये युवा यहां जरुर क्लीनस्वीप करेंगे।