वाशिंगटन : कोरोना संकट के बीच दक्षिण चीन सागर में चीन की ‘दादागिरी’ के खिलाफ अमेरिका ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। अमेरिका ने चीनी ड्रैगन से निपटने के लिए उसको उसके घर में ही घेरने की तैयारी तेज कर दी है। अमेरिका ने ड्रैगन को काबू में करने के लिए जहां दक्षिण चीन सागर में जल, थल और आकाश से दबाव बढ़ा दिया है, वहीं ताइवान को भी अत्याधुनिक हथियार दिए हैं। आइए जानते हैं कि चीन को मात देने के लिए किस रणनीति पर काम कर रहा है सुपर पावर अमेरिका।
द. चीन सागर पर ‘कब्जा’ कर रहा चीन
अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेइ फंगे ने कहा कि अगर अमेरिका की तरफ से युद्ध के हालत पैदा किए गए तो पेइचिंग हर कीमत पर लड़ने को तैयार है। दरअसल, ड्रैगन ने साउथ चाइना सी में ‘जबरन कब्जा’ तेज कर दिया है। पिछले दिनों चीन ने द. चीन सागर की 80 जगहों का नाम बदल दिया। इनमें से 25 आइलैंड्स और रीफ्स हैं, जबकि बाकी 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक स्ट्रक्चर हैं। यह चीन का समुद्र के उन हिस्सों पर कब्जे का इशारा है, जो 9-डैश लाइन से कवर्ड हैं। यह लाइन इंटरनैशनल लॉ के मुताबिक, गैरकानूनी मानी जाती है। चीन के इस कदम से ना सिर्फ उसके छोटे पड़ोसी देशों, बल्कि भारत और अमेरिका की टेंशन भी बढ़ गई है।
चीन की चौतरफा घेरेबंदी
यही नहीं चीन ने ताइवान को भी धमकी दी है। चीनी ड्रैगन की इस चाल को मात देने के लिए अमेरिका ने भी जल, थल और नभ से पेइचिंग पर दबाव बढ़ा दिया है। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपने 6 एयरक्राफ्ट कैरियर उतार दिए हैं। यूएस नेवी के मुताबिक एयरक्राफ्ट कैरियर ट्रूमैन, आइजनहावर, रीगर, निमित्ज, लिंकन और यूएसएस फोर्ड प्रशांत महासागर में गश्त लगा रहे हैं। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलों और लड़ाकू विमानों से लैस ये विमानवाहक पोत चीन की किसी भी नापाक हरकत का जवाब देने में सक्षम हैं। यही नहीं परमाणु हथियारों से लैस कई पनडुब्बियों को भी अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में तैनात किया है।