कोलकाता: नारद मामले में हलफनामा दाखिल करने में देरी के लिए मुख्यमंत्री पर जुर्माना लगाया गया है। लेकिन सीबीआई के मामले में हलफनामा देने में देर होने के बावजूद जुर्माना क्यों नहीं लगाया गया? यह सवाल आज यानी कि वकील कल्याण बनर्जी ने हाईकोर्ट में उठाया। अपनी तरफ से सवाल करने उठे कल्याण बनर्जी ने हलफनामे को लेकर प्रश्न किया।
इसके अलावा, जब उन्होंने अन्य मुद्दों को उठाना शुरू किया, तो न्यायाधीश ने उन्हें रोक दिया और कहा कि ‘हम फिल्म नहीं देखना चाहते, ट्रेलर दिखाएं।” इसके जवाब में कल्याण बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘कभी-कभी ट्रेलर फिल्म से बड़ा होता है।
कल्याण बनर्जी ने कहा कि मैं वकील बनकर निजाम पैलेस में गया था। उन्होंने मामले को सिंगल बेंच से डिवीजन बेंच में स्थानांतरित करने के मुद्दे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि एक खंडपीठ एकल पीठ के मामले को कैसे ले सकती है? उन्होंने कहा कि अन्य मामलों में एक बार रोस्टर बन जाने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता।
यह समझाते हुए कि विस्तृत चर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है, न्यायाधीश ने कहा आज ट्रेलर दिखाओ, पूरी फिल्म दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है। न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्ना मुखर्जी ने कल्याण बनर्जी को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। मामले की फिर से सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
गौरतलब हो कि 17 मई को नारद मामले में चार दिग्गज नेताओं की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी निजाम पैलेस में सीबीआई कार्यालय के सामने बैठ गईं। इस बीच सीबीआई कोर्ट में चार दिग्गजों की जमानत पर सुनवाई के दौरान कानून मंत्री मलय घटक मौजूद थे। उस समय सीबीआई अधिकारी ने पूरे मामले की सूचना हाईकोर्ट को दी थी।
फिर हाईकोर्ट में नारद मामले में नाटकीय मोड़ आया। इस मामले में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को भी शामिल किया गया था। अदालत ने मुख्यमंत्री और कानून मंत्री से अपने बयान देने के लिए हलफनामा देने को कहा गया था। लेकिन मामले में सीबीआई के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के सवाल खत्म होने के बाद हलफनामा दाखिल किया। तुषार मेहता ने बर्खास्तगी की अपील की।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के हलफनामे को स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि उन्हें निर्धारित समय के बाद दिया गया था। सुनवाई के करीब 15 दिन पूरे होने पर जब 9 जून को हलफनामा पेश किया गया तो उसे खारिज कर दिया गया। इस दिन कल्याण बनर्जी ने पूछा सीबीआई को हलफनामा दाखिल करने में देर होने के बावजूद जुर्माना क्यों नहीं लगाया गया?