पटना। लोजनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक दिवंगत नेता रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर से सोमवार को उनके पुत्र और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने अपनी आर्शीवाद यात्रा की शुरूआत कर इसके साफ संदेश दे दिए हैं कि वे अपनी पिता की बनाई ‘पिच’ पर ही बल्लेबाजी करेंगे। हाजीपुर से प्रारंभ यात्रा से मिले जनसमर्थन से भी चिराग पासवान गुट के नेता भी उत्साहित दिख रहे हैं।
लोजपा के दो गुटों में बंटने के बाद सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के जन्मदिन के मौके पर दोनों गुट ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया। लोगों का कहना है कि इस शक्ति प्रदर्शन में चिराग पासवान का गुट हावी रहा। दूसरे गुट का नेतृत्व कर रहे सांसद पशुपति कुमार पारस ने चिराग के आशीर्वाद यात्रा को लेकर कहा था कि उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र से इस यात्रा की शुरूआत करनी चाहिए, लेकिन चिराग ने इस यात्रा की शुरूआत अपने पिता रामविलास की कर्मभूमि से की।
लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के करीबी रहे रामनाथ विद्रोही कहते हैं, ” ऐसा लगता है कि चिराग ने कई कारणों से अपनी यात्रा के लिए हाजीपुर को चुना है। पहला तो यह कि हाजीपुर उनके पिता रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है। वे इस क्षेत्र का आठ बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। फिलहाल चिराग के चाचा पशुपति पारस द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाता है। ” विद्रोही का मानना है कि ”चिराग इस क्षेत्र तथा अपने समाज के एक स्पष्ट संदेश देने चाहते हैं कि वे अकेले ही समाज के नेता हैं, जो अपने पिता की विरासत को संभाल सकते” हैं।
वैसे माना तो अब यह भी जा रहा है कि चिराग अब हाजीपुर से ही राजनीति करेंगे। अपने पिता के निधन के बाद चिराग ने अपने आर्शीवाद यात्रा की शुरूआत हाजीपुर के उसी सुल्तानपुर क्षेत्र से प्रारंभ की, जहां से उनके पिता भी अपनी राजनीति की शुरूआत की थी।
सुल्तानपुर क्षेत्र में 1700 घरों में पासवान समाज के लोग रहते हैं, जिसे इस इलाके में सबसे बड़ा पासवान बहुल गांव माना जाता है।
चिराग पासवान ने भी यहां लोगों को संबोधित करते हुए राजनीति की बहुत बात नहीं की। उन्होंने कहा कि वह केवल हाजीपुर और बिहार के लोगों को चाहते हैं कि वे उन पर उतना ही प्यार बरसाएं, जितना उन्होंने उनके पिता पर किया था। उन्होंने लोगों को बुद्घिमान बताते हुए कहा कि लोग ‘विश्वासघात करने वालों’ की पहचान खुद कर लेंगे।
हाजीपुर पहुंचने के पहले चिराग पटना पहुंचे थे और पटना से ही उनके साथ हुजूम उमड पड़ा। चिराग के हाजीपुर पहुंचने के पहले फूल बरसाए गए।
सुल्तानपुर के रहने वाले बुजुर्ग विरेंद्र पासवान कहते हैं, ”हमारे भाई ने 15 से 17 साल तक रामविलास पासवान के लिए काम किया। अब हम चिराग के समर्थन में हैं। पिता की विरासत उनके पुत्र ही संभालेंगे।”
इस बीच जब चिराग से हाजीपुर से ‘जीरो’ से राजनीति करने के विषय में पत्रकारों ने पूछा तो सपाट लहजों में कहा, ”क्या यह भीड़ आपको नहीं बताती।” इधर प्रवक्ता मोहम्मद अशरफ भी कहते हैं कि ”पासवान समाज के बीच स्पष्ट संदेश गया है कि चिराग ही उनके नेता हैं। उन्होंने कहा कि यह पुष्टि पूरे बिहार से मिल रहा है।”