नई दिल्ली। National Desk : सीबीएसई की 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द की जा चुकी हैं। छात्रों, अभिभावकों व शिक्षाविदों ने ने इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि 12वीं के छात्रों के रिजल्ट और मूल्यांकन को लेकर प्रश्न अभी भी बाकी हैं। देशभर के कई प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों व शिक्षाविद मूल्यांकन प्रक्रिया को एकसमान और पारदर्शी बनाने की अपील कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इस बार सीबीएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 14 लाख 30 हजार 247 स्टूडेंट्स को शामिल होना था। प्रसिद्ध शिक्षाविद सीएस कांडपाल कांडपाल ने कहा, ” जिस आधार पर सीबीएसई अंको की गणना करें उसी आधार पर अन्य शिक्षा बोडरें को भी अंको की गणना करनी चाहिए, तभी 12वीं के बाद की जाने वाली वाली पढ़ाई अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं में सभी छात्रों को समान अवसर मिल सकेगा।”
द हेरिटेज स्कूल्स के सीईओ विष्णु कार्तिक ने कहा,” बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने के इस निर्णय से विद्यार्थियों और अभिभावकों के सामने मामला स्पष्ट हो गया है। सभी का तनाव भी कम हुआ है। हालांकि किसी विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिहाज से कक्षा 12 की परीक्षाओं की गंभीरता देखते हुए यह निर्णय लेना आसान नहीं था। परंतु सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था क्योंकि विद्यार्थियों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। ”
विष्णु कार्तिक के अनुसार, ” अब सीबीएसई के सामने चुनौती 12 वीं कक्षा के मूल्यांकन का वैकल्पिक मानक कायम करने का है। नई ग्रेडिंग व्यवस्था में विलंब या भ्रम होने से विद्यार्थियों में असमंजस और तनाव पैदा होगा। इस सिलसिले में भारतीय विश्वविद्यालयों को प्रवेश के मानक में संशोधन को लेकर स्पष्ट निर्देश देना लाजमी होगा ताकि विद्यार्थियों की योग्यता और निष्पक्षता से कोई समझौता न हो।”
सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन शिशिर जयपुरिया ने कहा, ” यह निर्णय बच्चों के हित में लिया गया है। हालांकि इसके बाद की प्रक्रिया भी बराबर महत्व की है और बच्चों के मूल्यांकन का मानक तय करने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें यह ध्यान रखना होगा कि बहुत से बच्चे अंतिम चरण की तैयारी तक तन-मन से करते हैं। इसलिए उन्हें इसका उचित लाभ दिया जाना चाहिए।”
निर्मल भारतीया स्कूल की प्राचार्य चारु वाही ने कहा,” बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का निर्णय स्पष्ट रूप से विद्यार्थियों और शिक्षकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में लिया गया है। अधिकतर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने राहत की सांस ली है। कोविड महामारी की दूसरी लहर से उत्पन्न बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं की अनिश्चितता से वे सभी चिंतित और घबराए हुए थे। लेकिन अब हमारे सामने अगली चुनौती इन विद्यार्थियों का निष्पक्ष और विश्वसनीय शैक्षिक मूल्यांकन का मानक कायम करने का है।
विद्यार्थियों के वार्षिक प्रदर्शन के आधार पर उनकी योग्यता के अनुरूप ग्रेड या अंक दिए जाने चाहिए। लेकिन बहुत सोच-समझ कर सावधानी से शैक्षिक मूल्यांकन करना होगा। मुझे विश्वास है कि स्कूल और बोर्ड इस चुनौती को पार कर लेंगे और विद्यार्थियों के हित में जो सबसे अच्छा होगा वह जरूर करेंगे।”
फिक्की अराइज सह अध्यक्ष व सुचित्रा अकादमी के संस्थापक प्रवीण राजू कहा, ” आज के हालात देखते हुए सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं रद्द करना सही फैसला है। बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ किए बिना हम परीक्षा नहीं ले सकते थे। इसलिए हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। आशा है इसके सभी भागीदारों से सलाह कर शीघ्र ही इस मुद्दे का हल निकाला जाएगा।”
मंगलवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया है सभी हितधारकों को छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है। पीएम ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि परिणाम अच्छी तरह से परिभाषित मानदंडों के अनुसार निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से तैयार किए जाएं।