*माँ*
माँ के छूते ही हर दर्द छू हो गया
पाँव उसके छुए तो वजू हो गया
कैसा जादू था उसकी बस इक फूँक में
ज़ख़्म गहरे से गहरा रफ़ू हो गया
माँ के छूते ही हर दर्द छू हो गया
पाँव उसके छुए तो वजू हो गया
कैसा जादू था उसकी बस इक फूँक में
ज़ख़्म गहरे से गहरा रफ़ू हो गया