*मुक्तक*
भूल जो भी हुई, प्रभु! क्षमा कीजिए
कष्ट में है, मनुज को अभय दीजिए
नष्ट ही हो न रचना कहीं आपकी
व्याधि के पाश से अब बचा लीजिए
भूल जो भी हुई, प्रभु! क्षमा कीजिए
कष्ट में है, मनुज को अभय दीजिए
नष्ट ही हो न रचना कहीं आपकी
व्याधि के पाश से अब बचा लीजिए