साहित्यडीपी सिंह की रचनाएं Posted on May 9, 2021 by admin लाठी चौकीदार की, पड़ी हुई है मौन। कुत्तों के उत्पात से, हमें बचाए कौन? हमें बचाए कौन, श्वान भी हमीं पालते। हममें से ही लोग, हड्डियाँ उन्हें डालते।। अगर नहीं मंजूर, चार कन्धों की काठी। दूजा नहीं उपाय, उठा लो ख़ुद ही लाठी।। Post Views: 8 टेनिस : नंबर-1 बार्टी को हराकर सबालेंका बनीं मैड्रिड ओपन चैंपियन मोनालिसा ने शॉर्ट ब्लैक ड्रेस में इंटरनेट पर ढाया कहर, वायरल हो रही है तस्वीरें