उमेश तिवारी, हावड़ा : हावड़ा के 16 विधानसभा सीटों पर तृणमूल ने धमाकेदार जीत हासिल की है। उत्तर हावड़ा को छोड़ लगभग 15 सीटों पर सुबह से ही उठापटक चल रही थी लेकिन अंत तक आते-आते उत्तर हावड़ा से भाजपा ने भी दम तोड़ दिया। यहां से भाजपा के उम्मीदवार उमेश राय तृणमूल के उम्मीदवार गौतम चौधरी हार गए। बाली से भी भाजपा की उम्मीदवार वैशाली डालमिया तृणमूल प्रार्थी डॉक्टर राणा चक्रवर्ती से आगे चल रही थी लेकिन अन्त में वैशाली भी डॉ. राणा चटर्जी से हार गई। इस तरह से सभी सीटों पर तृणमूल ने जीत हासिल कर ली।
सबसे पहले बात करते हैं उस सीट की जिसपर सबकी निगाहें थी, डोमजूर की। डोमजूर से तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल हुई राजीव बनर्जी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। विधानसभा संख्या -184 पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार थे कल्याण घोष। कल्याण घोष को 20वें राउंड में 1,30,278 , राजीव को 87,766 तथा संयुक्त मोर्चा उम्मीदवार उत्तम बेरा को 22,727 वोट मिले हैं।
दूसरी सीट है बाली विधानसभा-169 की। यहां से तृणमूल के कार्यपद्धति से नाराज होकर भाजपा का दामन थामनेवाली वैशाली डालमिया अपना भाग्य आजमा रही थीं। वैशाली को अपनी जीत पर पूरा भरोशा था लेकिन यहां की जनता इनसे नाराज चल रही थी। इनका सामना तृणमूल के उम्मीदवार डॉ. राणा चटर्जी से था। स्थानीय लोगों का कहना है कि राणा चटर्जी की घर-घर में पकड़ है। और यही मार खा गई वैशाली डालमिया।
वैशाली को 46,992 मतों से संतोष करना पड़ा जबकि डॉ. राणा चटर्जी को कुल 53,223 वोट मिले और संयुक्त मोर्चा की उम्मीदवार दिप्सिता धर को मात्र 21,924 वोट ही मिले। हालांकि वैशाली ने कहा था कि वह अन्त तक मैदान में डटी रहेंगी औ वह रहे भी। लेकिन डॉ. राणा चटर्जी ने उन्हें 6231 मतों से पराजित कर दिया।
हावड़ा सहित पूरे प्रदेश के लोगों को लगा था कि भाजपा उत्तर हावड़ा की सीट निकाल ले जायेगी। 170-संख्या वाले उत्तर हावड़ा से भाजपा के प्रार्थी थे उमेश राय की। उनका सामना तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार गौतम चौधरी से था। इस सीट पर चौथे राउंड तक उमेश राय लगभग दो हजार मतों से गौतम चौधरी से आगे चल रहे थे लेकिन पांचवे राउंड से भाग्य ने उनका साथ छोड़ दिया और अन्त में 5681 मतों से गौतम चौधरी ने जीत हासिल कर ली।
इसके अलावा शिवपुर विधानसभा केन्द्र -172 से खेल की दुनिया से आये मनोज तिवारी ने हावड़ा के मेयर रहे डॉ. रथीन चक्रवर्ती को 32339 वोटों से हरा दिया।
कुल मिलाकर देखा जाय तो तृणमूल का दामन छोड़ भाजपा में शामिल होनेवाले हावड़ा के सभी भाजपा उम्मीदवारों को जनता ने नकार दिया। और सिर्फ जनता ही नहीं बल्कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में भी बाहर से आये और जबरन थोपे गये उम्मीदवारों को पचा नहीं पाये।
वहीं हावड़ा के 16/16 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए तृणमूल नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने जमकर पसीना बहाया था। क्योंकि उन्हें भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही थी। तृणमूल के कई हेवीवेट नेता भाजपा का दामन थाम रहे थे, इससे कार्यकर्ताओं और जनता में रोष व्याप्त हो रहा था। और वे भाग रहे तृणमूल नेताओं को सबक सिखाने के मूड में आ गये थे।
लोगों का कहना है कि उन्होंने उस पार्टी को वोट दिया जिसने वामफ्रंट के 34 वर्षों के शासनकाल को उखाड़ फेंका था। और इसके बाद से राज्य में विकास की बयार बह रही है। जनता, जिसे ममता बनर्जी के नेतृत्ववाली सरकार से प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा था, चाहे वह सबूत साथी हो, बेकारी भत्ता, विधवा पेंशन या फिर अन्त समय में स्वास्थ्य साथी कार्ड। क्योंकि ममता बनर्जी ने कहा कि जून तक फ्री राशन और जीवन भर स्वास्थ्य साथी कार्ड का लाभ और लोगों को यही चाहिए था।
अब बात करे उस हीरो की जिसने नेतृत्व में हावड़ा का चुनाव लड़ा गया था। राज्य के पूर्व सहकारिता मंत्री अरूप राय। जिन्होंने पूरा दमखम लगा दिया था। इस जीत पर मध्य हावड़ा से तृणमूल के उम्मीदवार अरूप राय ने कहा कि हावड़ा की सभी सीटों पर जीत दर्ज कार्यकर्ताओं की मेहनत, माँ माटी मानुष पर जनता का विश्वास और ममता बनर्जी की अथक परिश्रम का फल है। उन्होंने कहा कि वे इस जीत से अपने को अधिक उर्जावान महसूस कर रहे हैं और जिले के विकास में जी जान लगा देंगे।
171-मध्य हावड़ा से तृणमूल के उम्मीदवार थे अरूप राय और भाजपा के संजय सिंह कांग्रेस से पलाश भंडारी अपना भाग्य आजमा रहे थे। यहां अरूप राय शुरू से ही बढ़त हासिल किये हुए थे। अरूप राय को कुल1,11,343, संजय सिंह को 64,885 और पलाश भंडारी को 12,904 मत ही मिले। इस तरह से इस सीट पर अरूप राय ने अपनी जीत दर्ज कराई।
रही बात संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवारों की तो बाली, डोमजूर, आमता, शिवपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही। लेकिन अन्य सभी जगहों से जनता ने उन्हें नकार दिया। अब भाजपा तृणमूल के इस जीत को किस नजर से देखती है यह तो वही जाने लेकिन पूरे राज्य के साथ-साथ हावड़ा में तृणमूल की सभी सीटों पर जीत से लोगबाग खुश जरूर हैं।