*घनाक्षरी छन्द*
नेता घड़ियाली आँसू, कितना बहाये पर
देखे-भाले बिना आप, साँप मत पालिए
लच्छेदार बातों पर, करिए भरोसा नहीं
कारनामे नेता जी के, ख़ुद भी खँगालिए
रंग रहता है सही, किस तापमान तक
कर के सवाल उन्हें, थोड़ा सा उबालिए
व्यर्थ न हो एक-एक वोट बेशकीमती है
देश आपका है जैसा चाहे इसे ढालिए