मनुष्य का रोना एक स्वाभाविक और भावनात्मक क्रिया है, लेकिन इसके पीछे विज्ञान भी काम करता है | भावनाओ में बहकर इंसान अक्सर रोता है, लेकिन आंसू केवल दुःख या परेशानी में ही नहीं आते है | तेज हवा और खास गंध की वजह से भी आंसू आते है, जैसे प्याज काटते समय आंसुओ का आना | आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे है, कि आंसू कैसे और क्यों आते है | तो आइये जानते है…
वैज्ञानिको ने आंसुओ को तीन भागो में बांटा है | पहला बेसल टीयर्स (Basal Tear), ये वे आंसू होते है जो आँखों को सूखने से बचाते है | दूसरा इमोशनल टीयर्स (Emotional Tear), ये वे आंसू होते है, जो किसी भावना की वजह से आते है | तीसरा रिफ्लेक्स टीयर्स (Reflex Tear), ये वे आंसू होते है जो किसी गंध की वजह से या आंख में कुछ गिरने की वजह से आते है |
बता दे इमोशनल आंसुओ को क्राइंग आंसू भी कहा जाता है | इंसान के मस्तिष्क में एक लिंबिक सिस्टम होता है, जिसमें दिमाग का हाइपोथैलेमस होता है, ये हिस्सा नर्वस सिस्टम से सीधे संपर्क में रहता है | जब भी इंसान किसी भावना में होता है, तो इस सिस्टम का न्यूरोट्रांसमिटर संकेत देता है और किसी भावना के एक्सट्रीम पर हम रो पड़ते हैं |
क्यों रोता है इंसान?
वैज्ञानिको की माने तो रोना इंसान की एक खास काबिलियत है | ये संवाद करने का नॉन वर्बल तरीका है, इससे इंसान सामने वाले को बताता है कि उसे मदद की जरूरत है | मनोवैज्ञानिक भी इस बात पर जोर देते है, कि भावनावश रोना अच्छा होता है | इससे तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य भी मजबूत होता है।
नॉन वर्बल यानी गैर मौखिक का सबसे बड़ा उदाहरण आप बच्चो से समझ सकते है। बच्चे जब बोलना नहीं सीखते है, तो रोने के माध्यम से ही अपनी जरूरत बताते, जैसे भूख लगना, वगैरह। आपकी जानकरी के लिए बता दे रोने से हमारा दिमाग एंडोमॉर्फिन केमिकल रिलीज़ करता है, जो कि हमे अच्छा महसूस करता है। सिर्फ इंसान के अलावा हाथी और गोरिल्ला ही ऐसे जीव है, जो भावना में आंसू बहते है।