साहित्यडीपी सिंह की मुक्तक : ज्वार Posted on February 21, 2021 by admin “ज्वार” पहले सूरज चन्दा मिलकर सागर को उकसाते हैं शान्त पड़े जल को मिलकर वे उद्वेलित कर जाते हैं उठता है जब ज्वार भयंकर, कोलाहल तब मचता है सागर उच्छृंखल है, कह कर फिर सबको भड़काते हैं सोशल मीडिया के नियमन के लिए कानून बनाने पर काम कर रही है सरकार : राम माधव बंगाल सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर कर में एक रुपये की कमी की