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नई दिल्ली। हिंदू कैलेंडर में महीने चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं। एक वर्ष में 12 महीने होते हैं और यह गणना वैदिक काल से चली आ रही है। प्राचीन हिंदू ग्रंथों जैसे- वेदों, पुराणों और ज्योतिष ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है तथा हजारों वर्षों से भारत में इसी गणना का उपयोग किया जा रहा है।
लेकिन पश्चिम की बात करें तो प्रारंभिक रोमन कैलेंडर में केवल 10 महीने होते थे और वर्ष मार्च महीने से शुरू होता था। रोम के दूसरे राजा नूमा पोंपिलियस ने वर्ष को 12 महीनों का बनाया। जनवरी और फरवरी महीने इसमें बाद में जोड़े गए।
फरवरी माह से संबंधित रोचक तथ्य :
1) इसका नाम लैटिन शब्द “Februum” से लिया गया है जिसका अर्थ है- शुद्धिकरण। इसलिए फरवरी को शुद्धिकरण और त्याग का महीना माना जाता था।
2) यह वर्ष का सबसे छोटा महीना होता है। फरवरी एकमात्र महीना है जिसमें 28 या 29 दिन होते हैं, जबकि बाकी महीनों में 30 या 31 दिन होते हैं।
3) हर चौथे साल इसमें 29 दिन होते हैं, जिसे लीप ईयर (Leap Year) कहा जाता है।
4) इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ है कि फरवरी के महीने में कोई बड़ा युद्ध छिड़ा हो। इसलिए कई देशों में इसे शांति का महीना माना जाता है।
5) इस महीने की 14 तारीख सेंट वेलेंटाइन दिवस (14 फरवरी) प्रेम और मित्रता का प्रतीक बन गया है।
6) अमेरिका और कनाडा में फरवरी को अश्वेत इतिहास माह के रूप में मनाया जाता है। जिसमें अफ्रीकी-अमेरिकन संस्कृति और इतिहास को सम्मान दिया जाता है।
7) 29 फरवरी को पैदा होने वाले लोग “लीपलिंग” या “लीपर” कहलाते हैं और वे केवल हर 4 साल में अपना असली जन्मदिन मना सकते हैं।
8) यदि फरवरी 1 तारीख को सोमवार से शुरू हो, और यह साधारण वर्ष (28 दिन का) हो, तो यह महीना बिल्कुल 4 सप्ताह (सोमवार से रविवार) का होगा। यह दुर्लभ संयोग होता है।
9) उत्तरी गोलार्ध में फरवरी अक्सर सबसे ठंडा महीना होता है। लेकिन दक्षिणी गोलार्ध (जैसे ऑस्ट्रेलिया) में यह गर्मियों का महीना होता है।
10) हिंदू पंचांग के अनुसार फरवरी का समय माघ और फाल्गुन मास के बीच आता है, जिसमें वसंत ऋतु प्रारंभ होती है।
11) सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि जैसे हिंदू पर्व भी अक्सर इसी माह में आते हैं।
यह तो हुई आंकड़ों की बात, अब जरा अनुभव की बात :
1) यह एक ऐसा महीना है जिसमें सबसे कम कार्य करने पर सबसे अधिक पेमेंट मिलती है। सिर्फ 28 या 29 दिन काम करने पर पूरे महीने की तनख्वाह मिल जाती है।
2) यही एक ऐसा महीना है जिसमें विद्यार्थी मां सरस्वती की, प्रेम पुजारी संत वैलेंटाइन की और गृहस्थ तथा सन्यासी भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा आराधना कर सकते हैं।
3) इस महीने में दिन भर कंफ्यूजन यह रहता है कि स्वेटर पहनना है या उतारना है।
4) रात भर का असमंजस यह कि पंखा चलाना है या बंद करना है।
5) कंबल और चद्दर को लेकर भी यही उहापोह वाली स्थिति बनी रहती है।
6) मनुष्यों की तरह मच्छर भी इस महीने असमंजस में रहते हैं कि मनुष्यों का खून फरवरी से पीना शुरू करना है या थोड़ा गरम होने के बाद मार्च से।
7) इस महीने दिल्ली खूब भली लगती है। गोवा और शिमला दोनों का मजा दिल्ली में मिलता है।
8) इस महीने के रंग और ढंग देखकर दिसंबर और जनवरी माह की कड़कड़ाती सर्दी में ब्याह करने वाले अफसोस करते हैं कि घुड़चढ़ी कुछ दिन और रुक के करनी चाहिए थी।
9) जिन युवाओं का पाणिग्रहण मई- जून की चिलचिलाती गर्मी में होना तय हुआ है वे हाथ मलते हैं कि हल्दी कुछ महीने पहले लगवा लेनी चाहिए थी।
और लास्ट बट नॉट द लीस्ट
10) यही एक ऐसा महीना होता है जिसमें मधुशाला प्रेमी रात को कुछ गरम बोले तो दारू और दोपहर में कुछ ठंडा बोले तो चिल्ड बियर पी सकते हैं।
ज्ञान समाप्त।
विनय सिंह बैस
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