केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2025 की संभावना

वैश्विक अनिश्चितता के बीच विजन 2047 के लिए विकास की गति को बनाए रखना बजट 2025-26 में चुनौती पूर्ण
बजट 2025 में कौशलता, एंप्लॉयमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट टैक्स सुधार के माध्यम से लोगों के हाथ में पैसा आए जैसे सुधारो पर फोकस की संभावना- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में पूर्व पीएम का आज शनिवार दिनांक 28 दिसंबर 2024 को अंतिम संस्कार होगा व देश 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक में है इस बीच वैश्विक स्तर पर दुनिया के विकसित देशों की गंभीरता से पैनी नजर भारत के विजन 2047 पर लगी हुई है, क्योंकि यह विजन भारत की विकसित गाथा में मील का पत्थर साबित होगा, जिसकी नीव प्रतिवर्ष बनने वाले बजट ही हैं, क्योंकि बजट में ही तय होता है कि देश की आर्थिक गाड़ी की पटरी कैसी होगी पैसेंजर, मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट या फिर वंदे भारत। बजट को लेकर 24 दिसंबर 2024 को माननीय पीएम की अर्थशास्त्रियों के साथ एक विशेष बैठक कर उनके विचार भी जान लिए हैं, इसलिए भारत सहित पूरी दुनिया की 1 फरवरी 2025 को घोषित होने वाले बजट 2025-26 पर लगी हुई है, जिसमें करीब-करीब 11 क्षेत्रों में चर्चा व सुझाव के लिए माननीय वित्तमंत्री लगातार बैठके कर रही है जो अंतिम चरण में है, उसके बाद आम जनता से सुझाव के लिए भी नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा, फिर बजट को लिखने की प्रक्रिया शुरू होगी। जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में तो बजट बनाने वाले मुख्य स्टाफ का नाता दुनिया से कट जाता है यहां तक कि मोबाइल भी उन्हें उपलब्ध नहीं रहती, इतनी सिक्योरिटी के साथ बजट कार्य हर साल होता है, इस वर्ष भी इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। स्वाभाविक रूप से कार्य संभावनाओं का बाजार भी गर्म हो चुका है इस पर गंभीरता से मैंनें विश्लेषण किया और कुछ संभावना का पैनल बनाया हूं…

(1) आयकर अधिनियम की धारा 80 सी जिसकी अभीछूट 1.50 लाख है उसे अब 2.0 लाख करने की संभावना
(2) हेल्थ बीमा 80 डी में अभी हेल्थ इंश्योरेंस 25 हज़ार की छूट होती है व सीनियर सिटीजन को 50 हज़ार की छूट होती है जिसे बढ़ाकर अभी दुगना किया जा सकता है।
(3) होम लोन पर अभी 2024 में ब्याज की टैक्स छूट है 2 लाख है जिसे 3 लाख किए जाने की संभावना है।
(4) सीनियर सिटीजन की आयकर टैक्स छूट सीमा धारा 80 टीटीबी धारा 80 डीडीबी 80 डी सहित पेंशन कटौती व आयकर स्लैब में वृद्धि मिल सकती है।

चूँकि वैश्विक अनिश्चित के बीच विजन 2047 के लिए विकास की गति को बनाए रखना बजट 2025-26 में एक चुनौती पुणे कार्य है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2025 में टैक्स सुधार कौशलता विकास, कृषि उत्पादकता, रोजगार सृजन व युवा गुणवत्ता सुधार सेक्टरों पर फोकस की संभावना।

साथियों बात अगर हम बजट 2025 में टैक्स सुधारो की करें तो, मीडिल क्लास टैक्सपेयर्स को सरकार से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, ऐसी खबरें हैं कि सरकार इस बजट में 10.5 लाख रुपये तक के सालाना वेतन पर टैक्स की देनदारी कम कर सकती है।1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले आगामी बजट में इसकी घोषणा की जा सकती है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य धीमी होती अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई के बीच खपत को बढ़ावा देना है। वर्तमान में 3 लाख रुपये से 10.5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी से 20 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि 10.5 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। 2 व्यवस्थाओं में से चुनने का विकल्प पुरानी व्यवस्था- जिसमें घर का किराया और बीमा जैसी छूट शामिल हैं।

नई व्यवस्था (2020)- जिसमें कम कर दरें हैं लेकिन अधिकांश छूट हटा दी गई है। प्रस्तावित कटौती के माध्यम से सरकार अधिक लोगों को 2020 की स्ट्रक्चर अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अभी तक किसी भी कटौती के साइज पर निर्णय नहीं लिया है, यह निर्णय 1 फरवरी के करीब लिया जाएगा। भारत को अधिकांश इनकम टैक्‍स कम से कम 10 लाख रुपये कमाने वाले लोगों से प्राप्त होता है, जिस पर ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम के तहत 20 प्रतिशत टैक्‍स लगता है, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार मिडिल क्‍लास के राजनीतिक दबाव में है, जो हाई टैक्‍स के बोझ तले दबा हुआ है। यह असंतोष वेतन वृद्धि के कारण और भी बढ़ गया है, जो महंगाई के साथ तालमेल नहीं रख पा रही है, जिससे घरेलू बजट पर और भी दबाव पड़ रहा है।

खबरों के अनुसार, सरकार 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों के लिए आयकर दरों को कम करने पर विचार कर रही है। यह कदम मध्यम वर्ग को सीधे लाभ पहुंचा सकता है, जो बढ़ती जीवन यापन की लागत से जूझ रहा है। कर कटौती से करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा आएगा, जो खपत और बचत को बढ़ावा देगा सरकार केंद्रीय बजट में मिडल क्लास को बड़ी राहत दे सकती है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, यह राहत इनकम टैक्स में बदलाव के रूप में हो सकती है। बजट 1 फरवरी को पेश होगा। इसके लिए जरूरी तैयारियां शुरू हो गई हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी अलग-अलग क्षेत्र के प्रतिनिधियों और एक्सपर्ट से मुलाकात कर चुकी हैं। बजट 2025 की तैयारियों के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर मिडिल क्लास के लिए आयकर दरों को कम करने का दबाव बढ़ रहा है। बढ़ती मुद्रास्फीति और कमजोर खपत के कारण मध्यम वर्ग पर आर्थिक दबाव काफी बढ़ गया है। ऐसे में कर राहत मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी राहत बन सकती है और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में सहायक हो सकती है।

साथियों बात अगर हम बजट 2025 में आर्थिक राजनीतिक संदर्भ की करें तो, रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई- सितंबर 2024 में भारत की जीडीपी वृद्धि सात तिमाहियों में सबसे कमजोर रही, साथ ही खाद्य महंगाई ने शहरी परिवारों की आय पर दबाव बढ़ा दिया है। जिससे वाहनों, घरेलू सामान और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की मांग प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो उपभोक्ताओं के पास ज्यादा खर्च करने लायक आय होगी, जिससे भारत की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है।

सरकार का रुख : सूत्रों के अनुसार टैक्स कटौती के आकार और अन्य विवरणों को अंतिम रूप देने का फैसला बजट की तारीख के करीब लिया जाएगा। हालांकि वित्त मंत्रालय ने अभी तक इस प्रस्ताव या राजस्व पर इसके प्रभाव के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। माना जा रहा है कि सरकार को होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई नए शासन में ज्यादा लोगों के शामिल होने से हो जाएगी।
उम्मीदें : अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो लाखों टैक्सपेयर को राहत मिलेगी, इस कदम से न सिर्फ आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सरकार का टैक्स स्ट्रक्चर अपनाने का उद्देश्य भी पूरा होगा।

भारत में मुद्रास्फीति ने लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित किया है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्ग के घरेलू बजट पर दबाव डाला है। परिणाम स्वरूप, कारों, उपकरणों और व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं जैसे उत्पादों की खपत में गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चेतावनी दी है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाना आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है।

साथियों बात अगर हम हितधारकों द्वारा बजट 2025 से उम्मीद की करें तो बजट-पूर्व परामर्श में विभिन्न हितधारकों ने आयकर सुधार, रोजगार सृजन और निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया है। उद्योग निकायों ने पूंजीगत लाभ कर प्रणाली को सरल बनाने, विवाद समाधान तंत्र लागू करने और जीएसटी में सुधार की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में अर्थशास्त्रियों ने शिक्षा और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया है।

सरकार की चुनौती : हालांकि कर कटौती से खपत को प्रोत्साहन मिलेगा, यह सरकारी राजस्व को प्रभावित कर सकता है, ऐसे में, वित्त मंत्री को राजकोषीय विवेक और आर्थिक पुनरुद्धार के बीच संतुलन बनाना होगा। मध्यम वर्ग को राहत देने के उद्देश्य से आयकर दरों में संभावित कटौती भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। बजट 2025 से सभी को उम्मीद है कि यह आर्थिक चुनौतियों को संबोधित करेगा और ‘आम आदमी’ की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2025 – टैक्स सुधार, कौशलता विकास, कृषि उत्पादकता, रोजगार सृजन व युवा गुणवत्ता सुधार सेक्टरों पर केंद्रित करने की संभावना। वैश्विक अनिश्चितता के बीच विजन 2047 के लिए विकास की गति को बनाए रखना बजट 2025-26 में चुनौती पूर्ण है। बजट 2025 में कौशलता, एंप्लॉयमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट टैक्स सुधार के माध्यम से लोगों के हाथ में पैसा आए जैसे सुधारो पर फोकस की संभावना है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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