नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार किसानों का आंदोलन जारी है। पीएम मोदी ने राज्यसभा से किसानों से अपील की थी वो अपना आंदोलन खत्म कर दें और जो भी समस्या है, उसका मिलजुलकर समाधान निकालें। हालांकि उन्होंने अपने संबोधन में कुछ लोगों पर निशाना साधते हुए कहा था कि कृषि कानून के नाम पर भ्रम फैलाया गया है और पिछले कुछ वक्त से इस देश में ‘आंदोलनजीवियों’ की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। पीएम मोदी की ओर से ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल करने पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भडडक गए। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने हमें ‘आंदोलनजीवी’ कहा है, ये बहुत दुखद है,अरे हम आंदोलन करते हैं लेकिन हम जुमलेबाज तो नहीं हैं। MSP पर कानून बनना चाहिए वो नहीं बन रहा। तीनों काले कानून खत्म नहीं हो रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2011 में कहा था कि देश में MSP पर कानून बनेगा, यह जुमलेबाजी थी, हम तो शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन हमें ‘आंदोलनजीवी’ का जा रहा है। लेकिन मैं बता दूं कि हमारा आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होता है।
‘अब 4 लाख नहीं बल्कि 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली निकाली जाएगी’ : इससे पहले उन्होंने एक और ट्रैक्टर रैली का ऐलान भी किया था। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन आगे भी जारी रहेगा और देश के बाकी हिस्सों में भी ऐसे ही आंदोलन को खड़ा किया जाएगा। अब चार लाख नहीं बल्कि 40 लाख ट्रैक्टरों की रैली निकाली जाएगी।
‘देश में अनाज की कीमत भूख से तय नहीं होती है’
जबकि इससे पहले राज्यसभा पीएम मोदी के इस संबोधन के तुंरत बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि MSP पर कानून बने, यही किसानों के लिए हित में होगा लेकिन इसके लिए पहले सरकार को बनाए गए तीनों कानूनों को खत्म करना होगा। देश में अनाज की कीमत भूख से तय नहीं होती है। MSP पर अगर कानून बनता है तो इससे किसानों को लूटेरों से छुटकारा मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी को अपील करनी चाहिए कि विधायक और सांसद अपनी पेंशन छोड़े उसके लिए यह मोर्चा धन्यवाद करेगा, अगर वो सच में किसानों का भला चाहते हैं तो पहले अपने तीनों कानूनों को तत्काल प्रभाव से खत्म कर देना चाहिए।