साहित्यडीपी सिंह की कुण्डलिया Posted on February 2, 2021 by admin सूखा कचरा डालिए, नीले कूड़ेदान। गीले कचरे के लिए, हरा रंग श्रीमान।। हरा रंग श्रीमान, सड़ाकर खाद बनाओ। रंग बिरंगे फूल, और कुछ फ़सल उगाओ। कह डी पी कविराय, रहे क्यों कोई भूखा। हरियाली चहुँ ओर, मिटे भारत से सूखा।। उत्तर कभी ना मिला (गीत) : पारो शैवलिनी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बोलीं, सबकुछ बेचने पर अमादा है मोदी सरकार