डीपी सिंह की कुण्डलिया

कुण्डलिया कालाबाजारी अगर, करनी होती बन्द। देते सूली पर चढ़ा, भ्रष्टाचारी चन्द।। भ्रष्टाचारी चन्द, किन्तु

मातृ दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल द्वारा उत्कृष्ट एवं सराहनीय कवि सम्मेलन का आयोजन

*निराशा के वातावरण में भी आशा की ज्योति “मां”* जगदीश मित्तल *जीवन के फूलों में

डीपी सिंह की रचनाएं

लाठी चौकीदार की, पड़ी हुई है मौन। कुत्तों के उत्पात से, हमें बचाए कौन? हमें

रवीन्द्र जयन्ती के शुभ अवसर पर ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ पश्चिम बंगाल का भव्य कवि सम्मेलन

राम पुकार सिंह, कोलकाता : राष्ट्रीय कवि संगम, पश्चिम बंगाल के तत्वाधान में रवीन्द्र जयन्ती

विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा में सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’ व सुरेंद्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ बने विजेता

इंदौर (मप्र)। Indore : अच्छे सृजन एवं मातृभाषा हिंदी को सम्मान देने की कड़ी में

अंजनी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सुप्रसिद्ध लेखिका माला वर्मा की छठी नई कहानी संग्रह – ‘भाटिन अंगुरिया छूंछ’

इसमें कुछ कहानियाँ पचास-साठ के दशक की हैं। उनदिनों लोगों का सोच-विचार, आचार-व्यवहार, विशेषकर बिहार

हिंदी साहित्य को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाली कर्मठ महिला ‘शीला संधू’

हिन्दी साहित्य और प्रकाशन को नई ऊंचाइयां तक लाने वाली वरिष्ठ साहित्यकार शीला संधू ने

डीपी सिंह की मुक्तक

कर के मीटिंग कहा गिद्ध ने चील से योजना पर रखी राय तफ़सील से शुबहे

“सबसे मिलिए कर जोरि! न जाने कब, कौन, नेता बन जाए”

आज ही खबर मिली है कि मेरा एक मित्र (अब तो ‘मित्र’ कहेंगे ही) चुनाव

डीपी सिंह की मुक्तक

हे पवनसुत आपके चरणों में मेरा चित रहे आपके गुणगान में दिन-रात आनन्दित रहे हे