नारायण सेवा संस्थान के 36वें सामूहिक विवाह समारोह में 21 दिव्यांग जोड़े विवाह सूत्र में बंधे

  • दिव्यांग और वंचित वर्ग के 21 जोड़ों ने ली लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने की शपथ
  • लोगों से किया कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह
  • 19 साल पुराने अभियान ‘दहेज को कहें ना!’ के जरिये संदेश फैलाने का प्रयास

कोलकाता। गैर-लाभकारी संगठन नारायण सेवा संस्थान ने दिव्यांगों और वंचितों की मदद करने के प्रयास में उदयपुर में 36वें सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया, जहां 21 दिव्यांग जोड़े विवाह सूत्र में बंधे। इन सभी जोड़ों ने संस्थान के 19 साल पुराने अभियान ‘दहेज को कहें ना!’ के जरिये संदेश फैलाने का प्रयास भी किया। दिव्यांग जोड़ों को परिवार के सदस्यों और दानदाताओं की ओर से घरेलू उपकरण और अन्य वस्तुएं भी प्रदान की गईं।

वर्तमान महामारी के कारण संस्थान की ओर से प्रत्येक प्रवेश और निकास द्वार पर मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता संबंधी मानकों का पालन किया गया और इस तरह कोविड -19 की आशंका को रोकने के लिए संस्थान त्रिस्तरीय सुरक्षा का पालन सुनिश्चित की गई। 36वें सामूहिक विवाह समारोह में, नारायण सेवा संस्थान के 21 नवविवाहित जोड़ों ने लोगों से कोविड का टीका लगवाने का आग्रह किया।

उदयपुर के 26 वर्षीय दिव्यांग रोशन लाल ने 32 वर्षीय कमला कुमारी को अपना जीवन साथी बनाया है। रोशन लाल राजस्थान में रीट परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इस परीक्षा की तैयारी से संबंधित कक्षाओं का निशुल्क संचालन एवं कौशल प्रशिक्षण कक्षाओं का आयोजन नारायण सेवा संस्थान द्वारा किया जाता है।

उदयपुर के रहने वाले रोशन लाल कहते हैं, ”जीवन से अनेक मुकाम ऐसे आते हैं, जब हम कुछ सबक सीखते हैं। ऐसे में आपको लगता है कि अगर थोड़ा-बहुत सपोर्ट मिल जाए, तो आगे बढ़ा जा सकता है। हमें लगता है कि नारायण सेवा संस्थान जैसे संगठनों ने समर्थन देकर हम जैसे लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव किया है। नारायण सेवा संस्थान आगे आकर हमें जीवन की दिशा प्रदान करने वाला एक स्तंभ रहा है, जिसके कारण हम अब एक नए जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे यकीन है कि मैं इस जीवन में किसी दिन एक अच्छा शिक्षक भी बन पाऊंगा।”

नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल कहते हैं, ”दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह एक ऐसा आयोजन है जो हमारे दिल के बहुत करीब है। हम ‘दहेज को कहें ना!’ अभियान के 19 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और हमें इस बात की खुशी है कि हमारे प्रयासों को लोगों ने सराहा है। संस्थान ने अब तक 2109 जोड़ों को एक खुशहाल और समृद्ध वैवाहिक जीवन जीने में मदद की है। वर्षों से हम निशुल्क सुधारात्मक सर्जरी, राशन किट का वितरण, दिव्यांगों के लिए कृत्रिम अंग शिविरों का संचालन कर रहे हैं। साथ ही, कौशल विकास कक्षाओं और सामूहिक विवाह समारोहों के साथ-साथ प्रतिभा विकास गतिविधियों के माध्यम से दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।”

गुजरात के सूरत के रहने वाले मनोज कुमार टाटा मोटर्स में कार्यरत हैं। उनका पैर के ऑपरेशन के लिए एनएसएस में भी हो चुका है। मनोज कुमार कहते हैं, “मैं यह देखकर बेहद खुश हूं कि संस्थान के माध्यम से संत कुमारी को अपने जीवन में सबसे अच्छा साथी पाया है ।”

24 वर्षीय दिव्यांग संत कुमारी कहती हैं, ”हर दिव्यांग यही चाहता है कि समाज में उसके साथ समान और न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाए।” शादी के बाद वह अपने सिलाई स्किल के जरिए खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहती हैं, ताकि वह न केवल अपने पति मनोज का सहारा बन सके, बल्कि जीवन में आर्थिक सहायता भी जुटा सके।

सामूहिक विवाह समारोह के सिलसिले में अनेक राज्यों के जोड़ों ने संस्थान से संपर्क किया। कोविड-19 के कारण संस्थान ने 5 राज्यों के जोड़ों को शॉर्टलिस्ट किया है और इस तरह 21 जोड़ों ने वैवाहिक जिंदगी में पहला कदम रखा। सभी जोड़ों ने तमाम रस्मों के दौरान मास्क भी पहने रखा।

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