नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान दंगा, आगजनी और डकैती के आरोपी 10 लोगों को पहचान न हो पाने के कारण बरी कर दिया। कड़कड़डूमा अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने आरोपियों की पहचान स्थापित करने में अभियोजन पक्ष की विफलता को उनके बरी होने का मुख्य कारण बताया। यह मामला गोकुल पुरी इलाके से संबंधित है और यह जगदीश प्रसाद शर्मा द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी दुकान को दंगाइयों ने जला दिया था।
अदालत ने कहा कि जहां आरोपियों की पहचान एक पुलिस अधिकारी ने की थी, वहीं गवाह ने जिरह के दौरान अपना रुख बदल लिया, जिससे उसकी गवाही अविश्वसनीय हो गई। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आरोप उचित संदेह से परे साबित नहीं हुए, जिसके कारण उन्हें बरी कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि पहचान प्रक्रिया में विसंगतियों के कारण आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार थे। अदालत ने उचित संदेह से परे सबूत की कमी की ओर इशारा किया और आपराधिक मामलों में विश्वसनीय पहचान के महत्व को रेखांकित किया। इसके अलावा, गवाहों के बयानों में देरी के दावों को खारिज कर दिया गया, क्योंकि इस तरह की देरी से दर्ज की गई गवाही अमान्य नहीं होती।