Gorkha

गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : गोरखा

।।गोरखा।।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा

सीमाओं की रक्षक है गोरखा
दुश्मनों के दुश्मन हैं गोरखा,
डरते नहीं कभी ये मौत से
हिन्दुस्तान की शान हैं गोरखा।

अक्सर ज़ंग के मैदान में गोरखा
प्रथम पंक्ति में खड़े रहते हैं गोरखा,
बेहिसाब दुश्मनों को मारकर
अंतिम सांस तक लड़ते हैं गोरखा।

ईंट का जवाब पत्थर से देते हैं गोरखा
ज़ंगी मैदान से भागते नही हैं गोरखा,
अपने बलिदान के सच्ची किस्से
लहू से लिख जाते हैं गोरखा।

पर कोई कहता नेपाली हैं गोरखा
पर कोई कहता विदेशी हैं गोरखा,
लांछना न लगना भूल से भी इन्हें
खांटी हिन्दुस्तान के वासी हैं गोरखा।

Gopal Newar
गोपाल नेवार, ‘गणेश’

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