अमितेश कुमार ओझा, खड़गपुर : विश्व में प्रदूषण की समस्या विकट रूप धारण कर चुकी है। लेकिन अपने देश में हमलोग इसे व्यवाहारिक दृष्टिकोण के बजाय स्टंटबाजी से दूर करने में लगे हैं।
हर साल दीपावली से पहले नया शगूफा छोड़ा जाता है। किसी न किसी सेलिब्रिटी द्वारा दिवाली पर पटाखा न छोड़ने की अपील के साथ। सब को पता है, इससे एक वर्ग की भावना आहत होगी, व्यर्थ का विवाद होगा। ऐसा नहीं है कि हम पटाखे केवल दिवाली में ही जलाते हैं। क्रिकेट मैच में जीत-हार या अन्य खुशी के मौके पर भी आतिशबाजी न केवल भारत बल्कि पड़ोसी समेत कई देशों में की जाती है।
फिर दिवाली पर ही बेमतलब का विवाद खड़ा करने का क्या मतलब है। क्या हम इससे बचते हुए प्रदूषण दूर करने के गंभीर प्रयास पर फोकस नहीं कर सकते। बड़े पैमाने पर पौधारोपण और प्रदूषण पैदा करने वाले कारणों को समूल दूर करना इसका कारगर विकल्प हो सकता है। लेकिन हमारे सेलब्रिटीज को तो बस मुफ्त के प्रचार की लत लग चुकी है।