प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय : ‘हमजोली’, ‘पड़ोसन’, ‘ससुराल’, ‘आंखें’, ‘दो फूल जिंदगी’, ‘गुमनाम’, ‘दिल तेरा दीवाना’, ‘प्यार किये जा’, ‘लव इन टोकियो’, ‘भूत बंगला’, ‘वारिस’, ‘पारस’, ‘मैं सुंदर हूं’, ‘कुंवारा बाप’ और ‘वरदान’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम कर चुके बॉलीवुड के बेमिसाल कॉमेडी अभिनेता महमूद साहब का जन्म 29 सितंबर, 1932 को हुआ था।
अभिनेता महमूद अली ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने हास्य के विभिन्न रंगों को बिखेर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। वैसे तो महमूद ने हर तरह की भूमिकाओं को बखूबी निभाया लेकिन कॉमेडी से सरोबार उनके किरदारों को अलग पहचान मिली। महमूद ने फिल्मों में चार दशक तक काम कर 300 से भी अधिक फिल्मों में अपने अभिनय और हास्य शैली से बतौर कॉमेडियन एक अलग शैली बनाई।
बॉलीवुड के पहले मेल डांसर अभिनेता मुमताज अली के पुत्र महमूद अली अपने शुरूआती दौर में खूब संघर्ष किया। इन्होंने कई साल तक जूनियर आर्टिस्ट के रूप में ‘प्यासा’, ‘सीआईडी’ और ‘दो बीघा जमीन’ जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए। महमूद साहब ने 1965 में ‘भूत बंगला’ के साथ निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा और 1974 में फिल्म ‘कुंवारा बाप’ का भी निर्देशन किया।
भारतीय फिल्म जगत के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म ‘जनता हवलदार’ उनकी यादगार फिल्मों में से एक है। महमूद कई फिल्मों में बतौर पार्श्वगायक भी काम करते रहे। अपने अभिनय प्रतिभा के बदौलत लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचने वाले कॉमेडी किंग महमूद डाउन टू अर्थ थे।
इसी का नतीजा था कि वे नए लोगों को काम करने का भरपूर मौका देते थे। इन्होंने संगीतकार राहुल देव बर्मन को फिल्म ‘छोटे नवाब’ के लिए काम करने का मौका दिया, जो कि बॉलीवुड के लिए एक नायाब तोहफा बनकर उभरा। इन्होंने अमिताभ बच्चन के संघर्ष के दिनों में मदद करने के लिए ‘बांबे टु गोवा’ को खासतौर पर बच्चन के कॅरियर को आगे बढ़ाने के लिए बनाया।
इतना ही नहीं इनकी जोड़ी को आई.एस जौहर के साथ भी पसंद किया गया। इन दोनों ने ‘जौहर महमूद इन हांगकांग’, ‘नमस्तेजी’, और ‘जौहर महमूद इन गोवा’ जैसी फिल्में दी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।