वाह रे डिजिटल दुनियाँ का कमाल! अब जमीन मकान दुकान की रजिस्ट्री कराने पंजीकरण कार्यालय जाने की जरूरत नहीं!

मध्य प्रदेश में संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू हुआ- संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हुई
डिजिटाइजेशन युग में आर्टिफिशियल मानव (रोबोट) सहित पूरी सृष्टि की रचना की जा सकती है, परंतु मृत मानवीय देह में प्राण डालकर जीवित करना कभी संभव नहीं होगा- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर जिस तेज़ी के साथ प्रौद्योगिकी विस्तार व डिजिटलाइजेशन हो रहा है उसमें, मेरा मानना है कि सब कुछ किया जा सकता है परंतु मृत्य में प्राण फ़ूकना शायद कभी संभव नहीं होगा, ऐसा होता तो दिनांक 9 अक्टूबर 2024 को देर रात्रि विश्व प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के 86 वर्ष की उम्र में देहांत की सूचना आई, जिसके शरीर में प्राण डाले जा सकते? हालांकि वैज्ञानिक स्तर पर आज भी इसे चुनौती मानकर इस दिशा में रिसर्च करने में जुटे हुए हैं। मेरा मानना है कि शायद वह कभी सफल नहीं होंगे, परंतु एक बात का गर्व जरूर है कि इसी प्रौद्योगिकी के बल पर आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी तक पहुंचे हैं, जिससे हर मानवीय काम आसान हो गया है। महीनों का काम मिनट में तो हो रहा है, परंतु सबसे बड़ी मार भ्रष्टाचार को पड़ी है इसीलिए ही उनकी हालत खस्ता हो गई है और डिजिटलाइजेशन में नई प्रौद्योगिकी को कोस रहे हैं।

आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 10 अक्टूबर 2024 से मध्य प्रदेश में संपदा रजिस्ट्रेशन का का कार्य 2.0 सॉफ्टवेयर से लागू हो चुका है, संभवतः महाराष्ट्र, यूपी के बाद यह तीसरा राज्य होगा। हालांकि केंद्रीय बजट 2024 में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए भूमि अभिलेखों के व्यापक डिजिटलीकरण की घोषणा की गई थी। यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन बजट में परिकल्पित अगले तीन वर्षों के भीतर पूरे भारत में इसके सफल कार्यान्वयन के लिए कई चुनौतियाँ हैं। वर्तमान में भारत के 28 राज्यों में से 24 में भूमि अभिलेख कम्प्यूटरीकृत है। केवल चार पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और सिक्किम में भूमि अभिलेख पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत नहीं हैं।

इसलिए समय की मांग है कि सभी राज्यों में भूमि अभिलेखों के रखरखाव में एकरूपता की व्यवस्था हो। परंतु जिस तरह से संबंध था 2.0 सॉफ्टवेयर की खूबियां बताई गई है वह तारीफे काबिल है। इसमें रजिस्ट्री करने वालों के समय की बचत, दिक्कतों कठिनाइयां परेशानियों में काफी हद तक कमी आएगी। ठगी के मामलों पर नियंत्रण होगा। एक ही प्रॉपर्टी की अब दो बार रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। अगर हुई तो तुरंत पकड़ में आ जाएगी। सबसे बड़ी बात जो होगी वह है भ्रष्टाचार में इस विभाग में काफी हद तक कमी होगी। अब रिश्वत के मामले में बाबू को बगले हाँकना पड़ेगा, दलालों को मुंह की खाने, साहब को भी एक्स्ट्रा एक हज़ार से इतने हजारों तक ऊपरी मिठाई देने पर नियंत्रण हो जाएगा।

सबसे बड़ी बात जनता को सुविधा होगी। मगर इन पंजीयन विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों ने मिलकर कोई नया तरीका निकालने की गुंजाइश भी बनी रहेगी, क्योंकि हर कानून में लीकेजेस तो निकल ही आते हैं। चूँकि मध्य प्रदेश में संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू हुआ व संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वाह रे डिजिटल दुनियाँ का कमाल! जमीन मकान दुकान की रजिस्ट्री कराने पंजीयन कार्यालय जाने की जरूरत नहीं!

साथियों बात कर हम सम्पदा 2.0 सॉफ्टवेयर की करें तो, मध्य प्रदेश में अब जमीन, मकान, दुकान की रजिस्ट्री कराने के लिए पंजीयन कार्यालय आने की जरूरत नहीं होगी। अब कहीं से भी प्रदेश के किसी भी जिले में पंजीयन कराया जा सकेगा। इसके लिए प्रदेश में पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग का संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू हो गया है। हालांकि, इसके लिए शासन दस्तावेजों को अभी अधिसूचित करेगा। सीएम ने 10 अक्तूबर को संपदा 2.0 का शुभारंभ किया है। वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री ने मीडिया में बताया कि संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की दिशा में राज्य शासन का यह एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश में रजिस्ट्री के नए नियम लागू किए गए हैं।

इस उन्नत सॉफ्टवेयर का पायलेट प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन गुना, हरदा, डिंडोरी और रतलाम जिलों में सफलता पूर्वक पूर्ण कर लिया गया है। अब गुरुवार को इसे प्रदेश के सभी 55 जिलों में लागू किया गया है। संपदा 2.0 से ई-केवाइसी से पहचान होगी। इसकी विशेषताओं में संपत्ति की जीआईएस मैपिंग, बायोमैट्रिक पहचान और दस्तावेजों का स्वतः प्ररूपण शामिल है। इस प्रणाली में दस्तावेजों का निष्पादन ई-साइन और डिजिटल सिग्नेचर से किया जाएगा, जिससे गवाह लाने की अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी। कुछ दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए अब उप पंजीयक कार्यालय में व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होगी। पंजीयन अधिकारी से संवाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा और कई मामलों में किसी भी प्रकार के इंटरेक्शन की आवश्यकता नहीं होगी। व्यक्ति की पहचान के लिए वीडियो केवाईसी का प्रावधान भी रखा गया है। पंजीयन के लिये ई-साइन एंव डिजिटल हस्ताक्षर दस्तावेज पर होंगे।

दस्तावेजों की ई-कॉपी डिजी लॉकर, व्हाट्सएप, और ई-मेल के माध्यम से उपलब्ध होगी। साथ ही ई-स्टाप सृजित करने की सुविधा भी होगी। संपत्ति की सर्च प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया गया है। संपदा 2.0 विशेष मोबाइल एप भी लॉन्च किया जा चुका है। यह पहल न केवल आम जनता के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि मध्य प्रदेश को ई-गवर्नेंस की दिशा में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा। यह पहल साइबर तहसील और डिजिटल प्रक्रियाओं से प्रदेश के राजस्व संग्रहण को भी सुचारू रूप से संचालित करेगी। मध्य प्रदेश में भू माफियाओं की ठगी और रजिस्ट्री के फर्जीवाड़े से लोगों को बचाने के लिए पंजीयन विभाग ने संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है। इस नए सिस्टम के लागू होने के बाद प्रॉपर्टी की खरीदी और बिक्री आसान हो जाएगी। सीएम द्वारा लॉन्च करने के बाद ये सॉफ्टवेयर प्रदेश के सभी जिलों में लागू हो गया।

साथियों बात अगर हम संपदा 2.0 के फीचर्स व फाइदों की जानकारी की करें तो
(1) निगम की संपत्ति और टैक्स आईडी और सॉफ्टवेयर में मोबाइल नंबर दर्ज होगा।
(2) रजिस्ट्री होते ही पक्षकार को मैसेज भी पहुचेगा।
(3) रजिस्ट्री के वक्त अब गवाही का काम ऑप्शनल रहेगा यानी इसमे वीडियो कॉल सुविधा मिलेगी।
(4) नक्शे के आधार पर लोकेशन साफ होगी।
(5) आधार-पैन कार्ड लिंक होने से रजिस्ट्री के वक्त मैसेज सीधे पक्षकार को पहुंचेंगे।

ठगी में लगेगी लगाम, ग्वालियर में रजिस्ट्री से संबंधित ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते 8 माह में 150 से अधिक मामले सामने आए हैं। अब ऐसे साइबर ठगी के मामले को लेकर पंजीयन विभाग अलर्ट मोड में आ गया है, जिसका तोड़ संपदा2 के इंतजार के साथ हो रहा था। यह संपदा 2 रूपी हथियार न केवल पक्षकारों को बल्कि पंजीयन विभाग के अफसरों को भी राहत प्रदान करेगा। रजिस्ट्री के समय आधार कार्ड, पैन कार्ड व बायोमैट्रिक्स से छेड़छाड़ कर पक्षकार की पहचान बदलने के मामले तेजी से बढ़े हैं, शहर के थाना झांसी रोड और महाराजपुरा में जनवरी से अगस्त तक 150 से अधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं।

ऐसी मामलों में जांच करना भी पुलिस के लिए काफी चुनौती है। अब पंजीयन विभाग का दावा है संपदा-2 में इस तरह के ठगी के मामले रुकेंगे। एक जिला पंजीयक ने मीडिया में बताया कि जिले में 90 फीसदी नक्शों में सुधार का काम पूरा हो चुका हैं, इस सॉफ्टवेयर में पक्षकारों हित में सुरक्षा के कई चेक पॉइंट वाले फीचर्स हैं, जिससे ठगी की गुंजाइश नहीं रहेगी। संपदा 2.0 में सर्विस प्रोवाइडर द्वारा डीड लिखने के बाद पक्षकार खुद पढ़ेगा। मोबाइल पर कंफर्म होने के बाद ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वाह रे डिजिटल दुनियाँ का कमाल! अब जमीन मकान दुकान की रजिस्ट्री कराने पंजीकरण कार्यालय जाने की ज़रूरत नहीं! मध्य प्रदेश में संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू हुआ- संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हुई। डिजिटलाइजेशन युग में आर्टिफिशियल मानव (रोबोट) सहित पूरी सृष्टि की रचना की जा सकती है, परंतु मृत मानवीय देह में प्राण डालकर जीवित करना कभी संभव नहीं होगा।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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